Train Accident: राजस्थान में लगातार दूसरे दिन रेल हादसा, बैल को बचाने के चक्कर में मालगाड़ी के 38 डिब्बे पटरी से उतरे

Rajasthan Train Accident: खाटूश्यामजी रेलवे स्टेशन के पास बैल को बचाने के चक्कर में मालगाड़ी के 38 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. इससे एक दिन पहले बीकानेर के कोलायत में मालगाड़ी के 37 डिब्बे पटरी से उतर गए थे.

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रींगस और श्रीमाधोपुर के बीच न्यू रेलवे स्टेशन के पास यह रेल हादसा हुआ है.
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Rajasthan News: राजस्थान में लगातार दूसरे दिन बड़ा रेल हादसा हो गया. रींगस और श्रीमाधोपुर के बीच न्यू रेलवे स्टेशन के पास मंगलवार देर रात चावल से भरी मालगाड़ी के 38 डिब्बे पटरी से उतर गए. यह हादसा बैल को बचाने के चक्कर में हुआ. यह मालगाड़ी फुलेरा से रेवाड़ी की ओर जा रही थी. तभी खाटूश्यामजी के पास यह हादसा हो गया, जिससे रींगस-श्रीमाधोपुर कॉरिडोर रेलवे ट्रैक बाधित हो गया.

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एक-दूसरे पर चढ़ गए डिब्बे

हादसे की भयावहता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पटरी से उतरने के बाद डिब्बे एक-दूसरे पर ऐसे चढ़ गए, जैसे बच्चों के खिलौने एक के ऊपर एक रख दिए गए हों. ये मंजर किसी बॉलीवुड फिल्म के एक्शन सीन से कम नहीं था. मालगाड़ी के डिब्बों के टूटने और घिसटने की भयानक आवाज ने लोगों को डरा दिया. सवेरे ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर जब यह नजारा देखा तो उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया. चावल की बोरियां फट चुकी थीं. मालगाड़ी के कुछ डिब्बे पिचक चुके थे. पटरियां टूट चुकी थीं.

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ट्रैक ठीक करने में लगेंगे 10-12 घंटे

रेल हादसे की जानकारी मिलते रेलवे में हड़कंप मच गया. रेलवे के अधिकारी, जीआरपी (GRP) और रेलवे कार्मिक तुरंत मौके पर पहुंच गए. रींगस रेलवे स्टेशन अधीक्षक बाबूलाल बाजिया ने मौके से जानकारी देते हुए बताया कि राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है. टूटे हुए डिब्बों को हटाना और ट्रैक को फिर से ठीक करना एक बहुत बड़ा चैलेंज है. स्टेशन अधीक्षक बाजिया ने साफ किया कि ट्रैक को पूरी तरह से चालू करने में कम से कम 10 से 12 घंटे का लंबा समय लगेगा. फिलहाल, इस रूट पर चलने वाली ट्रेनों को या तो रोक दिया गया है या उनके रूट को बदला जा रहा है.

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कल बीकानेर में भी बेपटरी हुई थी मालगाड़ी

इससे ठीक एक दिन पहले, मंगलवार को बीकानेर जिले में भी एक बड़ा हादसा होते-होते बचा था. चानी और कोलायत स्टेशनों के बीच एक और मालगाड़ी के 37 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. उस हादसे में सबसे डरावनी बात यह थी कि जिस ट्रैक पर मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई, उससे ठीक 30 मिनट बाद बीकानेर-जैसलमेर यात्री ट्रेन को गुज़रना था. अगर यह हादसा सिर्फ आधे घंटे देर से होता, तो यात्री ट्रेन सीधी इसकी चपेट में आ सकती थी, जिससे एक बहुत बड़ी जनहानि हो सकती थी. उस 30 मिनट के अंतर ने सैकड़ों लोगों की जान बचा ली थी.

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