राजस्थान के इस गांव में 400 सालों से नहीं बन रहे दो मंज़िला मकान, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप 

गांव में बने हर घर को नींव से उठाकर दीवारों के साथ छत तक निर्माण किया जाता है और सिर्फ एक मंजिल बनाई जाती है. गांव के लोग बताते हैं कि इस पूरे गांव में छत के ऊपर दूसरी मंजिल का निर्माण करना पूरी तरह से मना है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Didwana News: हमारे देश के गावों में आज भी एक अलग ही दुनिया बसती है. शहर की दौड़-धूप से दूर बसे गावों में अलग माहौल तो होता ही है, यहां के लोग भी निराले होते है. तभी तो कहते हैं कि भारत का दिल गांवों में बसता है. हर गांव की अलग कहानी है और कुछ ना कुछ खासियत होती है. आज बात करेंगे एक ऐसे गांव की जहां पर लोग घर की दूसरी मंजिल नहीं बनाते, कौनसा है वो गांव? और क्या है इसकी वजह? आइये जानते हैं 

ये है डीडवाना जिले का जसराणा गांव. आम गांवों की तरह नजर आने वाले जसराणा गांव की हकीकत जानकर आप हैरान रह जाएंगे. असल में इस गांव में सैकड़ों सालों से मकान सिर्फ एक मंजिल के ही बनते है. गांव के लोगों का कहना है कि लोक देवता अल्लू बाप जी के प्रति आस्था के चलते, वे एक परम्परा निभा रहे हैं.  जिसके मुताबिक गांव में बने लोक देवता अल्लू बाप जी के मंदिर की ऊंचाई से कोई भी मकान ऊंचा नहीं होना चाहिए.

Advertisement

सदियों से निभाई जा रही परम्परा 

गांव में बने हर घर को नींव से उठाकर दीवारों के साथ छत तक निर्माण किया जाता है और सिर्फ एक मंजिल बनाई जाती है. गांव के लोग बताते हैं कि इस पूरे गांव में छत के ऊपर दूसरी मंजिल का निर्माण करना पूरी तरह से मना है. अल्लू बाप जी मंदिर समिति के सचिव रामेश्वर गावड़िया के मुताबिक जसराणा के लोग सदियों से इस परंपरा को निभा रहे है और गांव में सभी मकान एक मंजिला ही है. उन्होंने बताया की पूर्व में जिस किसी ने भी मकान पर दूसरी मंजिल बनाई या कोशिश भी की तो इसका खामियाजा भी भुगता.

Advertisement

कौन हैं लोकदेवता अल्लू बाप जी ?

मंदिर में पुजारी मोडूदान कविया बताते हैं कि संत अल्लू बाप जी जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के रहने वाले थे, जिनका जन्म सन 1538 ईस्वी में हुआ था. उनके पिता का नाम हेमराज और माता का नाम आशा देवी था. संत प्रवृत्ति के अल्लू बाप जी जसराणा पहुंचे, यहां तपस्या में लीन रहे. उस वक्त इनके साथ तीन और समुदाय से जुड़े भक्त भी जसराणा आए थे. 1638 में संत अल्लू बाप जी ने जीवित समाधि ली थी. उसके बाद से ही क्षेत्र में उनके प्रति आस्था है.

Advertisement

गांव वालों की है अल्लू बाप जी पर अटूट आस्था 

गांव में सभी मकान एक मंजिल के ही है, इस परंपरा के साथ-साथ संत अल्लू बाप जी से जुड़े कुछ चमत्कार भी उनके प्रति आस्था को और मजबूत करने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मवेशियों को अगर गर्भधारण नहीं होता तो वो अल्लू बावजी के मंदिर में आकर फेरी लगाते हैं और मन्नत मांगते है तो इसके बाद उनके मवेशी गर्भधारण कर लेते हैं, वहीं अगर कोई चर्म रोग से पीड़ित होता है तो अल्लू बाप जी के दरबार में आकर यहां की भभूति का प्रयोग करने से रोग जड़ से खत्म हो जाता है. 

यह भी पढ़ें- उदयपुर का एकलिंग महादेव मंदिर, जहां बिना दर्शन किये नहीं बनता मेवाड़ का 'महाराणा', जानिए क्या है मान्यता