Famous Kachori: उदयपुर की 45 साल पुरानी हींग कचौरी विदेशों में भी मशहूर, स्वाद ऐसा कि अमेरिका - चीन तक पहुंची खुशबू

Udaipur Street Foods: उदयपुर के स्वाद के जायके भी देश से लेकर विदेसों में धूम मचा रहे है. इसकी रंग गली में स्थित पालीवाल कचौरी का स्वाद भी देश-विदेश में मशहूर है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
पालीवाल हींग वाली कचौरी, उदयपुर

 Udaipur Hing Kachaori: राजस्थान में झीलों की नगरी उदयपुर  ऐतिहासिक जगहें विश्व प्रसिद्ध हैं. इन्हें देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. इन जगहों के साथ-साथ उदयपुर के स्वाद के जायके भी देश से लेकर विदेसों में धूम मचा रहे है. इसकी रंग गली में स्थित पालीवाल कचौरी का स्वाद भी देश-विदेश में मशहूर है.

पालीवाल की हींग कचौरी का स्वाद विदेशों तक फैला

स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वाले पर्यटक भी पालीवाल की हींग की कचौड़ी का स्वाद लेते हैं. सबसे खास बात यह है कि हींग से बनी इन कचौड़ियों की खुशबू अमेरिका, दुबई, चीन और सिंगापुर तक फैल चुकी है. इन हींग की कचौड़ियों को खरीदने के लिए लोग सुबह से ही दुकान के सामने कतार में खड़े हो जाते हैं.

Advertisement

पालीवाल रेस्त्रां, उदयपुर
Photo Credit: NDTV

45 साल पहले का जायका आज भी है बरकरार

पालीवाल कचौरी की यह दुकान पुराने उदयपुर में जगदीश चौक के पास स्थित है, जिसे तीन भाई मिलकर चलाते हैं. इनमें से एक सत्यनारायण पालीवाल ने बताया कि 45 साल पहले उनके पिता ने अपने काका उदयलाल पालीवाल के साथ मिलकर यह हिंग कचौरी शुरू की थी. उससे पहले उनकी चाय और कॉफी की दुकान थी. उन्होंने बताया कि दुकान में स्वच्छता का बहुत ध्यान रखा जाता है. एक बार इस्तेमाल किया गया तेल दोबारा यूज नहीं किया जाता. स्वाद में कोई समझौता नहीं किया जाता, जिसकी वजह से 45 साल बाद भी इसका स्वाद वैसा ही बना हुआ है.

Advertisement

खरीदने के लिए कतार में खड़े लोग
Photo Credit: NDTV

6 घंटे में  बिक जाती 1000 कचौड़ियां

उन्होंने आगे बताया कि वे तीन भाई हैं, सबसे बड़े मांगीलाल, फिर सत्यनारायण और सबसे छोटे हरीश हैं. हमारे परिवार के सभी सदस्य सुबह 5 बजे एक साथ उठते हैं और आटा गूंथने, मसाला बनाने और अन्य कामों में हमारी मदद करते हैं ताकि दुकान समय पर खुल सके. दुकान खुलने का समय सुबह 7:30 बजे है, जिसके बाद हम कचौरी बनाना शुरू करते हैं जो दोपहर 1:30 बजे तक चलती है. औसतन 6 घंटे में 1000 कचौरी बिक जाती हैं. 6 घंटे इसलिए क्योंकि दोपहर के बाद पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है. कचौरी के साथ-साथ समोसा, आलू वड़ा और गुलाब जामुन भी बनाए जाते हैं.

Advertisement

 एक खाने के बाद आपको दूसरी  भी पड़ती है लेनी

वहीं पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां कचौरी की कई दुकानें हैं लेकिन इसका स्वाद खास है. एक खाने के बाद आपको दूसरी भी लेनी पड़ती है, इसका स्वाद इतना बढ़िया होता है. कई पर्यटक तो स्पेशल कचौरी खाने भी आते हैं.

यह भी पढ़ें: Rajasthan: डीएलएड परीक्षा में ऐसी सख्ती पहले कभी नहीं दिखी, महज 2 मिनट की देरी और करियर हो गया चौपट!

Topics mentioned in this article