उदयपुर में 45 साल से चल रहा अस्थि बैंक, गो सेवा के बाद होता है मोक्ष के लिए हरिद्वार तक का सफर

Rajasthan News: बदलते सामाजिक हालात में अस्थियां रखने के लिए अस्थि बैंक बनने लगे हैं. भारत के कई बड़े शहरों में अस्थि बैंक कुछ वर्षों पहले शुरू हुए, वहीं उदयपुर में अस्थि बैंक पिछले 45 वर्ष से चल रहा है.

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उदयपुर अस्थि बैंक

Udaipur Asthi Bank: आमतौर पर हिन्दू धर्म में किसी के दिवंगत होने पर मोक्ष के लिए अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर विसर्जित किया जाता है. लेकिन मोक्ष से पहले गोशाला में विश्राम मिले और इसके बदले जमा होने वाली राशि से गायों की सेवा हो, तो कितनी आश्चर्य की बात है. ऐसी ह गोशाला उदयपुर में श्मशान के पास है, जहां 45 साल से अस्थि बैंक चलता है. अंतिम संस्कार और हरिद्वाज ले जाने से पहले अस्थियों को यहां विश्राम मिलता है. इसके बदले परिजनों की ओर से निर्धारित राशि जमा कराई जाती है, जिसका इसतेमाल गोशाला में गायों की सेवा के लिए होता है.

यहां रखी जाती हैं 500 से अधिक अस्थियां

उदयपुर में अशोक नगर स्थित गोशाला सिर्फ गो शाला ही नहीं, बल्कि अस्थि बैंक है. श्मशान के पास स्थित गोशाला में बने अस्थि बैंक में दिवंगत लोगों की अस्थियां रखी जाती है. इसके बदले में मिलने वाली दान राशि गो सेवा में इस्तेमाल की जाती है. सालभर में 500 से अधिक अस्थि-कलश यहां रखे जाते है, जिससे तीन-चार लाख रुपये सालाना दान राशि जमा होती है.

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500 रुपये एक माह के लिए अस्थियां रखने पर, वहीं अधिक समय रखने पर 50 रुपये हर महीने लगता है.

45 साल से संचालित है अस्थि संचय व्यवस्था
85 लाख रुपये अब तक अस्थियों से जुटाए गए

अस्थियां रखने की एक मात्र जगह 

अमूमन किसी व्यक्ति का निधन होने के तुरंत बाद अस्थियों को गंगा में विसर्जन के लिए हरिद्वार पहुंचाया जाता है. कई लोग तुरंत हरिद्वार नहीं जा पाते हैं. ऐसे में अस्थियों को किसी सार्वजनिक भवन आदि में रखा जाता है. उदयपुर में एक मात्र यही जगह है, जहां अस्थियां रखने की सुविधा दी गई है.

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जाति-धर्म में बंटे इंसान का विभेद मृत्यु तक  होता है  लेकिन इसके बाद अस्थि बैंक में जाति-समाज का भेद खत्म हो जाता है. इसमें सभी जाति-समाज की ओर से अस्थियां रखी जा सकती है. यही नहीं, कई जाने माने लोगों की अस्थियां यहां रखी जा चुकी है.

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75 साल पहले हुई थी गोशाला की शुरुआत

एक ज्योतिष ने दान की थी, वे मेवाड़ राजघराने के ज्योतिषियों में से एक थे. गोशाला में लगभग 150 गायों को रखने का बंदोबस्त है. यहां गायों के लिए सुविधाएं भी उच्च स्तर की है. साफ सफाई से लेकर खानपान तक गायों पर सालभर में करीब 30 लाख रुपए खर्च होते हैं.

गोशाला की शुरुआत करीब 75 साल पहले हुई थी. करीब 700 अस्थियां हर साल जमा होती है. परिजनों से अस्थियां ले जाने की अपील करते हैं. नहीं ले जाने पर करीब 100 अस्थि कलशों को संस्थाओं के माध्यम से हरिद्वार पहुंचाई जाती है. संस्थाएं विधि विधान से तर्पण करती है.

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