गणगौर की पूजा के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास झुलसीं, अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती

Rajasthan News: गिरिजा व्यास (Girija Vyas) के भाई ने बताया कि वह नियमित रूप से पूजा-पाठ करती हैं. आज गणगौर की पूजा के दौरान अचानक आग लग गई.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास झुलसीं (फाइल फोटो)

Rajasthan News: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डॉ गिरिजा व्यास (Dr. Girija Vyas) सोमवार को पूजा करने के दौरान झुलस गई. जानकारी के मुताबिक, गणगौर की पूजा के दौरान गिरिजा व्यास की चुन्नी में आग लग गई, जिससे वह बुरी तरह झुलस गई. घटना के तुरंत बाद उन्हें उदयपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया, जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद गिरिजा व्यास को अहमदाबाद रेफर कर दिया गया है. फिलहाल कांग्रेस नेता की हालत अभी ठीक बताई जा रही है. 

जलते दीपक से लगी आग

जानकारी के अनुसार, गिरिजा व्यास उदयपुर स्थित अपने घर में सुबह करीब 11 बजे पूजा कर रही थीं. इस दौरान नीचे जल रहे दीपक से उनकी चुन्नी में आग पकड़ ली और वह देखते-देखते ही झुलस गई. तुरंत ही घर में काम करने वाले एक शख्स ने उन्हें संभाला.

गणगौर पूजा के दौरान हुआ हादसा

उनके बेटे और बहू मिलकर उदयपुर के ही एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए. गिरिजा व्यास के भाई गोपाल शर्मा का कहना है कि गिरिजा व्यास आरती कर रही थीं, इसी दौरान उनकी चुन्नी ने नीचे रखे दीपक से आग पकड़ ली. परिवार के सदस्य उन्हें अस्पताल ले गए. 

अहमदाबाद के अस्पताल में चल रहा इलाज

सूचना पर तुरंत मौके पर पहुंचे. इलाज के लिए तुरंत अस्पताल ले जाया गया. अभी अहमदाबाद के अस्पताल में कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास का इलाज चल रहा है. आग से झुलसने की सूचना पर बड़ी संख्या में गिरिजा व्यास के समर्थक भी उनके घर पर पहुंचे.

Advertisement

केंद्र सरकार में रहीं मंत्री

बता दें कि डॉ. गिरिजा व्यास यूपीए-2 सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं थी. इसके अलावा वह राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. गिरिजा व्यास ने कांग्रेस पार्टी में कई वरिष्ठ पदों पर काम किया. वह 1991 में उदयपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचा और नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री भी रहीं.

यह भी पढे़ं- 

Rajasthan Diwas: जब राजस्थान की राजधानी बना था उदयपुर, मेवाड़ के महाराणा की शर्त को मान गए थे नेहरू-पटेल

Advertisement

300 साल के टूटे रिश्ते को जोड़ने के लिए लक्ष्यराज मेवाड़ की ऐतिहासिक पहल, अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद लिया फैसला