Udaipur Lok Sabha Seat: उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस-भाजपा का खेल बिगाड़ सकती हैं आदिवासी पार्टियां,क्या भाजपा लगाएगी जीत की हैट्रिक?

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां नये चहरों की तलाश में जुटी हुई हैं.  भाजपा अर्जुन लाल मीणा की दो बार लोकसभा का टिकट दी और दोनों ही बार विजय रहे. वहीं कांग्रेस के रघुवीर मीणा को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में इस बात की अधिक संभावना है कि कांग्रेस किसी नए फेस के साथ इस बार उदयपुर लोकसभा चुनाव लड़ेगी.

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चुनावी सभा के मंच पर आदिवासी नेता (फाइल फोटो)

Udaipur Lok Sabha Seat: उदयपुर लोकसभा सीट पर पिछले 3 दशक में भाजपा का दबदबा रहा है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. आदिवासी अंचल में भाजपा ने अपनी पकड़ बनाई है. उदयपुर लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात की जाये तो इस सीट पर SC, ST, OBC मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी अर्जुन लाल मीणा ने कांग्रेस के रघुवीर सिंह मीणा को हराया था.

2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाये तो भाजपा के अर्जुनलाल मीणा ने कांग्रेस प्रत्याशी को 437914 अंतर से  हराया था.वह दूसरी बार इस सीट से जीते थे. इस चुनाव में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर NDA ने जीत दर्ज की थी. इनमें से 24 सीटें भाजपा और एक इसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में गई थी. 

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उदयपुर अपने इतिहास, संस्कृति एवं अपने आकर्षक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. झीलों की नगरी के नाम से मशहूर यह नगर प्रदेश का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है. उदयपुर की अर्थव्‍यवस्‍था प्रमुख रूप से बहुमूल्य कपड़ों पर सोने-चांदी के तार तथा रेशम के धागों द्वारा कढ़ाई, सोने-चांदी के बर्तन निर्माण, हस्तशिल्प, खनिज और रसायन के उद्योगों पर आधारित है. इसके अलावा पर्यटन व्‍यवसाय भी यहां लोगों की आमदनी का बड़ा जरिया है.

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10 बार कांग्रेस तो 5 बार जीती भाजपा 

राजस्थान की सियासत में बरसों से एक बात कही जाती है कि जो मेवाड़ जीतता है, वहीं राजस्थान भी जीतता है. राजस्थान की उदयपुर लोकसभा सीट मेवाड़ संभाग की चार सीटों में से एक है. तीन अन्य सीटें राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा हैं  आजादी के बाद उदयपुर सीट पर हुए 17 लोकसभा चुनाव में 10 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी और 2 बार अन्य (जनसंघ और जनता पार्टी) कब्जा रहा.

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आदिवासी पार्टियां देंगी कड़ी टक्कर 

2023 के विधानसभा चुनावों में आदिवासी पार्टियों का उदय हुआ. यह दोनों ही पार्टियां आदिवासियों के हकों के लिए काम कर रही हैं, जिसमें जल,जंगल, जमीन और आदिवासियों के अधिकारों के लिये काम कर रही हैं. इसी वजह से आदिवासी वोट बैंक इन पार्टियों के साथ जुड़ता जा रहा है. आसपुर और धरियावद में भारतीय आदिवासी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की थी. पार्टी ने सलूम्बर, खेरवाड़ा, विधानसभा चुनाव में अच्छा वोट हासिल किया था. इन पार्टियों के प्रदर्शन के कारण कांग्रेस और  भाजपा का वोट बैंक खिसकता नजर आ रहा है. पूरे आदिवासी अंचल में आदिवासियों का बड़ा वोट बैंक इन पार्टियों साथ है. इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के सामने बड़ी चुनौती पेश करेंगी.

उदयपुर लोकसभा चुनाव इतिहास

1952: बलवंत सिंह मेहता, कांग्रेस
1957: परमार, श्री दीनबंधु, कांग्रेस
1962: धुलेश्वर मीणा, कांग्रेस
1967: धुलेश्वर मीणा, कांग्रेस
1971: लालजीभाई मीणा, जनसंघ
1977: भानू कुमार शास्त्री, जनता पार्टी
1980: मोहन लाल सुखाड़िया, कांग्रेस
1984 : इंदुबाला सुखाड़िया, कांग्रेस
1989: गुलाब चंद कटारिया, भारतीय जनता पार्टी
1991: गिरिजा व्यास, कांग्रेस
1996: गिरिजा व्यास, कांग्रेस
1998: शांति लाल चपलोत, भारतीय जनता पार्टी
1999: गिरिजा व्यास, कांग्रेस
2004: किरण माहेश्वरी, भारतीय जनता पार्टी
2009 : रघुवीर मीणा, कांग्रेस
2014: अर्जुनलाल मीणा, भारतीय जनता पार्टी
2019: अर्जुनलाल मीणा      

कांग्रेस तलाशेगी नया चेहरा !

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां नये चहरों की तलाश में जुटी हुई हैं. भाजपा अर्जुन लाल मीणा की दो बार लोकसभा का टिकट दी और दोनों ही बार विजय रहे. वहीं कांग्रेस के रघुवीर मीणा को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में इस बात की अधिक संभावना है कि कांग्रेस किसी नए फेस के साथ इस बार उदयपुर लोकसभा चुनाव लड़ेगी.

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