उदयपुर में सरकारी अस्पताल के बाहर पांच घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला, सड़क पर दिया बच्चे को जन्म

उदयपुर के गोगुंदा नांदेशमा से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई. जहां सरकारी अस्पताल का मुख्य द्वार बंद होने से मां और नवजात की जान खतरे में पड़ गई.

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महिला अपने नवजात शिशु के साथ

Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर के गोगुंदा नांदेशमा से मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई. जहां एक महिला के असपताल के बाहर बच्चा पैदा हुआ है. मामला इलाके के चालवा गांव निवासी लेरकी की पत्नी कमलेश गमेती का है, जिसे देर रात अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. जिसके बाद परिजन उसे तुरंत नांदेशमा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां गेट बंद मिला. और वहां कोई डॉक्टर या स्टाफ नजर नहीं आया.

 पांच घंटे तक दर्द से तड़पती रही महिला

इस दौरान महिला करीब पांच घंटे तक अस्पताल परिसर के बाहर असहनीय दर्द से तड़पती रही. फिर अचानक रात करीब तीन बजे महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. इस दौरान गांव की ही एक महिला ने नवजात की गर्भनाल काट दी.

ग्रामीणों में अस्पताल के प्रति आक्रोश

इस घटना के बाद ग्रामीणों में अस्पताल के प्रति गहरा आक्रोश है. आक्रोशित ग्रामीणों ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले से अवगत कराया. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर चिकित्सा सहायता मिल जाती तो महिला और नवजात को सुरक्षित माहौल मिल सकता था। अस्पताल की लापरवाही के कारण दोनों की जान जोखिम में पड़ गई.

डॉक्टर की मां की तबीयत रहती  है खराब

वहीं दूसरी तरफ  जब इस संबंध में अस्पताल पर पदस्थ चिकित्सक से बातचीत की गई तो,उन्होंने बताया कि वे उदयपुर रहते हैं,जहां उनकी 92 वर्षीय मां की तबीयत खराब रहती है. अस्पताल पर एक नर्सिंग स्टाफ, एक एलटी, और एक फार्मासिस्ट तैनात हैं. वही चिकित्सकों का कहना है कि स्टाफ की भारी कमी के चलते क्षेत्रीय अस्पतालों की हालत, बंद से बदतर होती जा रही है, जिस पर शीघ्र ध्यान देना आवश्यक है.

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