Rajasthan News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान में युवाओं को संबोधित किया. उन्होंने शिक्षकों को संस्थान की रीढ़ बताते हुए कहा कि युवा विद्यार्थी देश के असली कर्णधार हैं और भविष्य के निर्माता हैं. धनखड़ ने भारत की बढ़ती आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि देश चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला विश्व का पांचवा सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था बन चुका है. डिजिटाइजेशन और तकनीकी उन्नति के साथ भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है.
सरकारी सेवा ही अंतिम विकल्प नहीं- उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी कई सारे तनावों को लेकर आगे बढ़ती हैं. जब कम मेरिट वाला उनसे आगे बढ़ जाता है, जब भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार आदि समस्याएं दिखती है तो युवाओं के मन में दर्द होता है, लेकिन उन्होंने कहा कि इन सब चीज़ों को दिल से नहीं लगाते हुए युवाओं को रोज़गार के नए उभरते फ़लक को देखना और समझना चाहिए. सरकारी सेवाएँ ज़रूरी है, लेकिन युवाओं को यह नहीं समझना चाहिए कि सरकारी सेवा ही अंतिम विकल्प है, आज युवाओं को उभरते नए रोजगारों के अवसर और ऊंचाइयों के प्रति जागरूक रहना होगा.
उन्होने कहा कि अब 6जी की नई तकनीक आ रही है जो ना सिर्फ़ फ़ोन के लिए होगी बल्कि व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए प्रमुख मानी जाएगी इसलिए हमें भी आउट ऑफ़ बॉक्स जाकर सोचना होगा, तभी हम कुछ नया और उपयोगी सोच पाएंगे. उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि देश के 500 टॉप लोगों को देखें तो पाएंगे कि उसमें साठ प्रतिशत लोग आपकी उम्र के हैं. वे अवसरों के प्रति जागरूक रहे और उन्होंने अवसरों का लाभ उठाया.
'असफलता से डरने के बजाय सीखें'
धनखड़ ने युवाओं को असफलता से डरने के बजाय उससे सीखने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री हासिल करने के लिए नहीं बल्कि कौशल विकास और समाज सेवा के लिए भी होनी चाहिए. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से कहा कि आज के तकनीकी बदलाव के दौर में 'ज़ॉब सीकर' बनने की बजाय 'जॉब क्रिएटर्स' बने, क्योंकि पूरी दुनिया उनकी तरफ़ आशा भरी नज़र से देख रही है.
उपराष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर भी जोर दिया और युवाओं से पौधे लगाने और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि युवाओं को लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने स्वयं एक पौधा भी लगाया. उन्होंने कहा कि भारत के पास वेद और पुराणों जैसी समृद्ध विरासत है और युवाओं को इस विरासत पर गर्व करना चाहिए.
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