दूसरे राज्य से आए किसान ने लीज पर जमीन लेकर किया कमाल, इन फसलों को बोकर सालभर में करता है 50 लाख की कमाई

Rajasthan Farming: दूसरे राज्य से राजस्थान में लीज पर खेती करके एक किसान ने बड़ा उदाहरण पेश किया. किसान सालभर में 2 बार फसल उगाकर  50 लाख रुपये की कमाई करता है.

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भरतपुर में लीज पर खेती

Bharatpur Farming: देश का किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर व्यवसायिक खेती की ओर रुख कर रहा है, जिससे उसकी आय कई गुना बढ़ रही है. भरतपुर जिले के किसान रफीक खान इसके बड़े उदाहरण हैं. व्यवसायिक खेती कर रहे रफीक खान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के रहने वाले हैं, जो पिछले 5 साल से 55 बीघा खेत लीज पर लेकर व्यापारिक खेती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं. यूपी से आए किसान साल में दो फसल पैदा कर यहां से 50 लाख रुपये की आमदनी करते हैं.

10 लाख रुपये देते हैं खेत का किराया

उत्तर प्रदेश के किस रफीक खान बताया कि वह पिछले 5 साल से भरतपुर में रहकर खेती कर रहे हैं. फिलहाल उसने बयाना उपखंड के गांव अलापुरी में 55 बीघा जमीन लीज पर ली है, जो उसे 10 लाख रुपये की कीमत पर 1 वर्ष के लिए मिली है.

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55 बीघा भूमि में वह मल्चिंग पेपर लगाकर खेती कर है. उसके द्वारा, तरबूज, खरबूजा, करेला ,खीरा, लौकी और काशीफल की खेती की जा रही है. इस फसल की बुवाई अक्टूबर - नवंबर माह में की थी.जो फरवरी में फसल तैयार हो जाएगी.

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किसान एक साल में 2 बर फसलों की बुआई करके प्रति वर्ष 55 बीघा भूमि में 27 लाख 50 हजार रुपये की लागत लगाकर  50 लाख रुपये कमा रहा है. 

पूरे परिवार के साथ मिलकर खेती

किसान ने बताया कि अभी भी हम कुछ हिस्से में फसल लगाकर ज्यादातर मल्चिंग पेपर ही लगाया है. मल्चिंग पेपर आने वाले सालों में भी काम आ जाता है. लेकिन फूस एक बार में ही खराब हो जाता है. मल्चिंग पेपर का एक हजार मीटर का रोल करीब ₹6000 में आता है जो डेढ़ बीघा भूमि को कवर कर देता है. रफीक खान का कहना है कि साल में एक या 2 बार अपने घर जा पाता हूं. यहां पूरे परिवार के साथ रहकर के ही खेती का काम कर रहा हूं. साथ ही 5 मजदूर भी लगाए हैं. 

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मचलिंग पेपर फसल के लिए कितनी उपयोगी

मलचिंग पेपर फसल को सर्दी से बचाता है, मिट्टी के तापमान को स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे गर्मी के मौसम में मिट्टी के महत्वपूर्ण जीवों को अपना काम करने के लिए पर्याप्त ठंडक मिलेगी. यह भारी बारिश के दौरान ऊपरी मिट्टी के नुकसान को रोकने में मदद करेगा.

यह कई प्रकार के अकशेरुकी जीवों को आवास प्रदान करेगा. मिट्टी में नमी बनी रहती है. खरपतवारों का विकास कम होता है. मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है. पौधों का तनाव कम होता है. मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है. पानी की बचत होती है.

तरबूज, खरबूजा, करेला और खीरा जैसे सब्जियों की खेती

रफीक खान ने बताया कि तरबूज, खरबूजा, करेला, खीरा, लौकी और काशीफल को भरतपुर मंडी के अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा मथुरा और दिल्ली मंडी भेजा जाता है. उन्होंने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि किसानों को पारंपरिक खेती के साथ बागवानी और सब्जी की खेती करनी चाहिए. क्योंकि यह कम लागत में चौगुना मुनाफा देती है. इस फसल से किसानों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से मजबूत होती है.

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