Rajasthan Politics: घमंड चूर-चूर हो जाए...वसुंधरा राजे ने किसे कहा- 'जैसा बोओगे-वैसा काटोगे'

वसुंधरा राजे ने पहले भी इशारों में वर्तमान राजनीति और राजनेताओं पर तंज कसा है. वहीं अब उनका एक बयान सियासत से जोड़ा जा रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
वसुंधरा राजे

Vasundhara Raje: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वसुंधरा राजे ने पहले भी इशारों में वर्तमान राजनीति और राजनेताओं पर तंज कसा है. वहीं अब उनका एक बयान सियासत से जोड़ा जा रहा है. वसुंधरा राजे शुक्रवार (16 अगस्त) को उदयपुर में ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागर जी महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव में शामिल हुई थी. जहां उन्होंने अपना संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में बड़ी बात कह दी.

वसुंधरा राजे ने कहा, जैन धर्म का सिद्धांत जीओ और जीने दो है, लेकिन कई लोगों ने इसे उलट दिया है. जीओ और जीने मत दो. यानी ख़ुद तो जीओ, लेकिन दूसरों को जीने मत दो. ऐसा करने वाले भले ही थोड़े समय खुश हो जाये, पर वे हमेशा सुखी नहीं रह सकते। क्योंकि जैसा बोओगे-वैसा काटोगे.

जनता का प्यार मुझे मिल रहा

वसुंधरा राजे ने कहा, जैन धर्म का मूल सिद्धांत है हिंसा रहित जीवन, लेकिन हिंसा की परिभाषा सिर्फ़ हथियार से हिंसा करना या किसी को मारना-पीटना ही नहीं. किसी का दिल दुखाना, किसी का दिल तोड़ना, किसी की आत्मा को सताना भी है. राजनीति में सबसे बड़ी धन दौलत जनता का प्यार है, जो मुझे निरंतर मिल रहा है.

वसुंधरा राजे ने दो पक्तियां भी सुनाई जिसे उन्होंने अपने एक्स पर भी शेयर किया है. उन्होंने कहा,

काश ऐसी बारिश आये,

जिसमें अहम डूब जाए,

मतभेद के किले ढह जाएं,

घमंड चूर-चूर हो जाए,

गुस्से के पहाड़ पिघल जाए, नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये और सब के सब, 

मैं से हम हो जाएं।

अब वुसंधरा राजे के इस संबोधन के बाद से राजस्थान में सियासी चर्चाएं शुरू हो गई है. लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर वसुंधरा राजे ने आखिर किसे इशारों-इशारों में घमंड चूर-चूर हो जाए.. और जो बोओगे वैसा काटोगे कहा है. हालांकि इस सवाल का जवाब तो वसुंधरा राजे ही दे सकती है. लेकिन इस बयान को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है.

Advertisement

इससे पहले ही वसुंधरा राजे ने इशारों-इशारों में बयान दिया है. वहीं वसुंधरा राजे की नाराजगी की भी चर्चाएं राजनीति में काफी होते रहती है.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में उपचुनाव के लिए करना होगा अभी और इंतजार, अब दिवाली के बाद ही चुनाव की संभावना

Advertisement