Rajasthan Politics: राजस्थान में भले ही वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का दौर ख़त्म मान लिया गया हो, लेकिन राजनीतिक तौर पर अपनी सियासी जमीन को हासिल करने की उनकी जद्दोजहद जारी है. हाल ही में एक समारोह में दिये गये उनके ताज़ा बयान कई ओर इशारा कर रहे हैं. लेकि यह साफ तौर पर को भाजपा आलाकमान पर उनकी अनदेखी पर कसे तंज़ माना जा रहा है. दूसरी ओर वसुंधरा राजे के इस बयान से जहां कांग्रेस (Congress) को भाजपा की गुटबाज़ी पर हमला करने का मौका मिल गया. वहीं भाजपा में भी कई नेताओं के स्वर वसुंधरा राजे के समर्थन में सुनाई देने लगे हैं.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के ताजा बयान राजस्थान भाजपा की सियासत में राजे गुट के फिर से सक्रिय होने की आख़िरी हसरतों की ओर इशारा कर रहा है. इस बयान में दो बार की सीएम रहीं वसुंधरा राजे के राजस्थान भाजपा की मौजूदा सियासत पर ना केवल तंज है बल्कि एक पार्टी के रूप में भाजपा को बनाने में परिवार के योगदान और ख़ुद की अनदेखी का दर्द भी छिपा है.
चुनाव के बाद पहली बार दिया सियासी बयान
वसुंधरा राजे ने लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पहली बार सियासी तौर पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक सुंदर सिंह भंडारी की पुण्यतिथि के अवसर पर उदयपुर में आयोजित वसुंधरा राजे ने कहा कि
वसुंधरा का संघ से रिश्ता
यहां वसुंधरा राजे संघ के साथ अपने परिवार के रिश्तों और भाजपा को बनाने में योगदान का हवाला देने से भी नहीं चुकी. राजे ने कहा कि उनकी मां ने हमेशा संघ के संस्कार दिए. मेरी माता ने पहली जनसंघ की सरकार बनाई थी. राजे ने कहा कि
राज्य और केंद्र दोनों चुनाव में वसुंधरा की अनदेखी
दरअसल, राजस्थान की भाजपा की राजनीति में जिस तरह से पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की अनदेखी की गई है. राजे का ये बयान उसी संदर्भ में देखा जा रहा है. हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली 11 सीटों पर हार के बाद अब कई नेताओं के स्वर राजे के समर्थन में भी सुनाई देने लगे हैं. सीकर लोकसभा सीट से दो बार के सांसद और इस बार चुनाव हारने वाले सुमेधानंद सरस्वती ने कहा है कि वसुंधरा राजे में चुनाव में सक्रिय रहतीं तो परिणाम दूसरा हो सकता था.
वैसे देखा जाये तो राजस्थान कांग्रेस ने पहले से लोकसभा चुनाव में राजे को साइड लाइन करने को मुद्दा बनाया था. अब उन्हें फिर से राजस्थान भाजपा की गुटबाज़ी पर सियासी हमला बोलने का मौक़ा मिल गया है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनते ही राजस्थान भाजपा वसुंधरा युग से आगे बढ़ गई है. लेकिन ये भी सच है कि राजे की अपनी खोई हुई सियासी ज़मीन ना सही लेकिन सम्मानजनक जगह पाने की जद्दोजहद जारी रहेगी. ये सियासी जंग आने वाले दिनों में तेज भी हो सकती है.
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