NPA की मांग को लेकर राजस्थान के पशु चिकित्सकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर टोंक में भी देखने को मिल रहा है. टोंक जिले में भी पशु चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इससे जिले के 6 लाख से ज्यादा पशुधन के साथ ही राजस्थान सरकार की कामधेनु बीमा योजना पर असर पड़ रहा है. हालांकि पशु चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक पशुओं की साधारण बीमारियों का इलाज कर रहे हैं. लेकिन गंभीर रोगी और पशुओं के ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं. हड़ताल के दौरान कामधेनु बीमा योजना का बहिष्कार कर रहे हैं.
ग़ौरतलब है कि राजस्थान में कामधेनु योजना के तहत प्रदेश भर में 80 लाख पशुओं का बीमा होना है. जिसे लेकर वेटरनरी डॉक्टर्स विरोध कर रहे हैं. आज टोंक में वेटरनरी डॉक्टर्स ने विरोध सभा कर प्रदर्शन किया. डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदेश में सिर्फ 2 हज़ार वेटरनरी डॉक्टर्स ही मौजूद है. जो कि इतने बड़े स्तर पर बीमा का काम नहीं कर सकते. डॉक्टर्स की मांग है कि उनके रोज़मर्रा के काम के अलावा अगर उनसे कामधेनु योजना का काम करवाया जाएगा तो उन्हें सरकार अतिरिक्त दैनिक भत्ता दे.
राजस्थान में 16 सितम्बर को डॉक्टर्स ने एक दिन का धरना देकर सरकार के सामने अपनी एनपीए देने की मांग राखी थी. मांग नही माने जाने पर कहा था कि अगर 18 सितम्बर से पहले हमारी मांगे नही मानी गई और एनपीए की घोषणा नहीं की जाती है तो वेटरनरी डॉक्टर्स टोंक सहित राजस्थान में कामधेनु बीमा योजना वह गोपालन विभाग के साथ ही सभी कार्यों का राज्य व्यापी बहिष्कार करेंगे .
टोंक जिले में पशुपालक वैसे ही बरसाती मौसम में पशुओं की कई बीमारियों से जूझ रहे है और आज के महंगाई के दौर में पशुपालन अब मुनाफे का सौदा नहीं होकर नुकसान का धंधा है. ऐसे में वेटरनरी डॉक्टर्स की हड़ताल पशुपालकों की समस्या बढ़ा सकती है.
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