उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: जैसलमेर के जलालुद्दीन का नामांकन खारिज, जानें क्या रही वजह?

जैसलमेर के जलालुद्दीन का उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन खारिज हो गया है. जानें क्यों चुनाव आयोग ने उनका पर्चा अस्वीकार कर दिया और क्या है उनकी चुनावी यात्रा की पूरी कहानी.

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उपराष्ट्रपति चुनाव में राजस्थान के इस शख्स का पर्चा हुआ खारिज.

Rajasthan News: देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति (Vice President Election) के लिए इन दिनों दिल्ली में चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं. जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस कुर्सी पर बैठने के लिए देश भर से लोग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसी कड़ी में मरुधरा यानी राजस्थान के जैसलमेर जिले से एक शख्स ने भी अपनी हुंकार भरी थी. जी हां, हम बात कर रहे हैं जैसलमेर के जलालुद्दीन की, जिन्होंने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरके सबको चौंका दिया था. लेकिन अब खबर आ रही है कि उनका नामांकन भी दस्तावेजों की कमी के कारण खारिज हो गया है. चुनाव आयोग ने कुल 7 में से सिर्फ एक ही पर्चा सही पाया है, जिसमें जलालुद्दीन का नाम भी रिजेक्ट लिस्ट में शामिल है.

क्यों रद्द हो गया नामांकन?

जैसलमेर के मंगालिया मोहल्ले के रहने वाले जलालुद्दीन वार्ड पंच से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक में वो अपनी किस्मत आजमने के लिए पर्चा भर चुके हैं. कुछ लोग उन्हें 'चुनाव लड़ने का शौक' वाला इंसान भी कहते हैं. इस बार उनका इरादा सीधे उपराष्ट्रपति बनने का था. उन्होंने 11 अगस्त को बाकायदा 15,000 रुपये की डिपॉजिट राशि जमा करके अपना नामांकन भी दाखिल किया था. लेकिन कहते हैं न, बड़े सपने देखने के लिए कागजात भी पुख्ता होने चाहिए. चुनाव आयोग ने जब उनके दस्तावेजों की पड़ताल की तो पाया कि उनके पास 'निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति' पुराने दिनांक की थी. बस, इतनी सी चूक ने उनके उपराष्ट्रपति बनने के सपने पर पानी फेर दिया. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, ऐसे मामलों में पर्चा सीधा खारिज कर दिया जाता है, और यही जलालुद्दीन के साथ भी हुआ.

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जलालुद्दीन के साथ 6 और रेस से बाहर

दरअसल, इस उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 7 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की थी. इनमें से 6 लोगों के पर्चे दस्तावेजों की कमी के चलते खारिज कर दिए गए. इनमें तमिलनाडु के डॉ. के. पद्मराजन, दिल्ली के जीवन कुमार मित्तल (पहला नामांकन), आंध्र प्रदेश के नैडुगारी राजशेखर और दिल्ली के डॉ. मंदाती तिरुपति रेड्डी शामिल हैं. जैसलमेर के जलालुद्दीन भी इसी लिस्ट में आ गए.

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जैसलमेर के जलालुद्दीन का 'इलेक्शन प्रेम'

आपको जानकर हैरानी होगी कि जलालुद्दीन पहली बार किसी बड़े चुनाव में नहीं कूदे हैं. उनका चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास रहा है. साल 2013 में उन्होंने जैसलमेर विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी थी, फिर 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पर्चा भरा था. हालांकि, दोनों ही बार उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था. साल 2009 में तो वो अपने गांव आसूतर बांधा से वार्ड पंच का चुनाव भी लड़ चुके हैं. फिलहाल वो हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं और वहां छात्र संघ चुनाव में भी भाग लेना चाहते थे, लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारण नहीं लड़ पाए. जलालुद्दीन का कहना है कि उन्हें पता था कि उनका नामांकन खारिज हो जाएगा, फिर भी उन्होंने ये सिर्फ अपने शौक के लिए किया.

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सिर्फ एक उम्मीदवार का नामांकन स्वीकार

कुल 7 में से 6 नामांकन खारिज होने के बाद अब सिर्फ एक ही उम्मीदवार का पर्चा स्वीकार हुआ है. ये हैं दिल्ली के जीवन कुमार मित्तल, जिन्होंने दूसरी बार सही दस्तावेजों के साथ नामांकन दाखिल किया था. चुनाव प्रक्रिया अब आगे बढ़ेगी. आने वाले दिनों में और भी उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं. बीजेपी और कांग्रेस जैसे बड़े दलों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.लेकिन इस बीच, जैसलमेर के जलालुद्दीन ने अपनी जुझारू प्रवृत्ति से राजस्थान का नाम एक बार फिर चर्चा में ला दिया है, भले ही उनका सपना अधूरा रह गया हो.

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