Alligator News: वाइल्डलाइफ डीएफओ नाहर सिंह ने बताया कि चंबल नदी में नेस्टिंग समय पूरा होने पर घड़ियाल के अंडों से बच्चे निकलना शुरू हो गए हैं. घडियाल अप्रैल-मई में अंडे देते हैं. एक मादा घडियाल 20 से 35 के बीच अंडे देती हैं, जो कि चंबल किनारे ही रेत में अंडों को दबा देती हैं.
अंडों से बच्चे जून के दूसरे सप्ताह तक बाहर आते हैं
अंडों से बच्चे जून के दूसरे सप्ताह तक बाहर आ जाते हैं. बच्चों के बाहर निकलने का दौर करीब 3 महीने तक चलेगा. अंडे से बच्चे की मदर कॉल की आवाज आती है, जिसे सुनकर मादा घड़ियाल अंडों को फोड़कर बच्चों को अपने साथ पानी में ले जाती है. इस समय इन्हें निहारने के लिए वन्यजीव प्रेमी इन बच्चों की अठखेलियां देखने चंबल नदी किनारे पहुंच रहे हैं.
2 महीने तक मादा घड़ियाल करती है देखभाल
डीएफओ नाहर सिंह ने बताया अंडों से घड़ियाल के बच्चे निकलने के बाद करीब 2 महीने तक घड़ियाल मादा अपने बच्चों की देखभाल है. इस दौरान बच्चों को भोजन मुहैया कराती है. 2 महीने तक बच्चों के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. सेल्फ डिफेंस होने के बाद बच्चों से दूर हो जाती है.
घड़ियाल प्रजाति का बढ़ रहा कुनबा
टीएफओ नाहर सिंह के मुताबिक चंबल नदी में मौजूदा वक्त में लगभग ढाई हजार घड़ियाल प्रजाति का कुनबा है. इसके अलावा करीब 1000 मगरमच्छ और एक दर्जन डॉल्फिन मौजूद हैं. चंबल नदी का पानी जलीय जीवों के अनुकूल होने की वजह से हर प्रजाति के जलीय जीवों की बंश वृद्धि हो रही है. चंबल नदी सबसे स्वच्छ और साफ होने की वजह से जलीय जीवों की जान के लिए खतरा नहीं रहता है.
पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा
चंबल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन कछुआ एवं अन्य जलीय जीवों की बढ़ोतरी होने से पर्यटन के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिल रहा है. जिले के राजघाट एवं मध्य प्रदेश के देवरी घाट पर चंबल सफारी भी शुरू की गई है. देश के कोने-कोने से पर्यटक जलीय जीवों को देखने पहुंच रहे हैं. जिससे पर्यटक को बढ़ावा मिल रहा है.
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