Vijayadashami 2023: रामलीला में हनुमान का किरदार निभाने वाला मुस्लिम कलाकार खुद को मानता है श्रीराम का आशीर्वाद

दशहरा कमेटी का कहना है की भगवान श्रीराम की जिस पर कृपा हो जाए उसका बेडा पार हो जाता है. सलीम भाटी श्री राम के ऐसे भक्त हैं जो किसी हिन्दू से भी ज्यादा सनातन हैं.

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Dussehra 2023: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है विजय दशमी. इस दिन भगवान श्री राम ने बुराई का अंत करके समाज में प्रेम, एकता का संदेश दिया था. भगवान श्रीराम सभी के हैं और दशहरा भी सभी का पर्व है. छोटी काशी बीकानेर अपनी संस्कृति के जरिए ये पैगाम पूरी दुनिया को देता है. दशहरे के दिन निकलने वाली झांकियों में जब सलीम भाटी हनुमान का किरदार निभाते हैं तो ऐसा लगता है कि भगवान श्रीराम खुद उन्हें आशीर्वाद दे रहे हों.

'प्रभु श्रीराम का मिलता है विशेष आशीर्वाद'

भगवान हनुमान का किरदार निभाने वाले मुस्लिम कलाकार सलीम भाटी ने कहा, 'आज अच्छाई की बुराई पर जीत का दिन दशहरा है. आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने रावण के रूप में विद्यमान बुराई का वध करके पूरी दुनियां को ये सन्देश दिया था कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो जाए, मगर उसका अन्त निश्चित है.'

हनुमान का किरदार निभाते हुए मुझे श्री राम का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रभु श्रीराम का ये सन्देश आम-अवाम तक पहुंचाने के लिए दशहरे के दिन बीकानेर दशहरा कमेटी रामायण से सम्बन्धित झांकियां निकालती हैं और इसका मुख्य आकर्षण होते हैं सलीम भाटी, जो बजरंगबली का किरदार पिछले कई सालों से बड़ी खूबसूरती से निभाते आ रहे हैं.

'बजरंगबली की भूमिका निभाना सौभाग्य की बात'

सलीम भाटी को हनुमान के किरदार में लेकर आने वाले हैं. किशन कुमार आहूजा का कहना है कि जब उन्होंने सलीम भाई से बजरंगबली की भूमिका के लिए कहा तो वे सहर्ष तैयार हो गए और अपना सौभाग्य समझते हुए उन्होंने इस रोल को शिरोधार्य किया और तब से लेकर अब तक वे इसे निभाते आ रहे हैं. किशन कुमार आहूजा का परिवार भी तीन पीढ़ियों से दशहरा कमेटी से जुड़ा हुआ है और पहले इनके दादा, फिर पिता और अब ये खुद लगातार रावण का किरदार निभाते आ रहे हैं.

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हिंदू-मुश्लिम साथ में करते हैं रामलीला

दशहरा कमेटी का कहना है की भगवान श्रीराम की जिस पर कृपा हो जाए उसका बेडा पार हो जाता है. सलीम भाटी श्री राम के ऐसे भक्त हैं जो किसी हिन्दू से भी ज्यादा सनातन हैं. कमेटी के महासचिव संजय झाम्ब बताते हैं कि कमेटी के कार्यालय के आसपास सभी मुस्लिम लोग रहते हैं, मगर कभी एहसास नहीं होता कि हिन्दू और मुस्लिम अलग-अलग धर्म के लोग हैं. ये खूबसूरत एहसास बीकानेर में ही मिलेगा जिसे छोटी काशी भी कहा जाता है.

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