जैसलमेर: ओरण की जमीन सीमेंट कंपनी को अलॉट करने का विरोध, ग्रामीणों ने पदयात्रा निकाल DM को सौंपा ज्ञापन

जैसलमेर जिले के रामगढ़ इलाके के पारेवर गांव की श्री आईनाथ जी मुँहबोली ओरण की जमीन को पूर्ण रूप से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने व पूर्व में दर्ज ओरण की जमीन में गलत तरीके से वंडर सीमेंट को अलॉट जमीन को निरस्त करवाने की मांग को लेकर पारेवर के ग्रामीण ओरण बचाओ टीम के साथ पारेवर गांव से पदयात्रा निकाल जैसलमेर पहुंचे.

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ओरण की जमीन बचाने के लिए डीएम को ज्ञापन सौंपने आए ग्रामीण.
JAISALMER :

जैसलमेर जिले के रामगढ़ इलाके के पारेवर गांव की 'ओरण की जमीन' को 'वंडर सीमेंट' को आवंटित करने पर ग्रामीण जन भारी विरोध कर रहे हैं. इस विरोध के चलते ग्रामीण जन 'ओरण बचाओ टीम' के साथ पारेवर गांव से पदयात्रा निकालते हुए  जैसलमेर जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. बता दें कि ओरण ऐसी जमीन होती है, जो देवी-देवताओं के नाम पर संरक्षित होती है. इस जमीन पर खेती नहीं होती है. इस जमीन पर झाड़ उगा है. मान्यता है कि ओरण की जमीन पर उगे जंगलों की टहनी तक भी नहीं काटनी चाहिए.      

 'ओरण बचाओ टीम'

जैसलमेर जिले के इस ओरण क्षेत्र को बचाने की जदोजहद में पारेवर गांव के ग्रामीण व पर्यावरण प्रेमी 'ओरण बचाओ टीम' बना कर ओरण को बचाने के लिए 60-70 किलोमीटर की पदयात्रा कर जैसलमेर पहुँचे. टीम के सदस्यों ने ओरण के नाम दर्ज जमीन पर किए गए अलॉटमेन्ट को रद्द करने व अन्य जमीन को ओरण के नाम दर्ज करने की मांग की है.

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नाराज ग्रामीण पदयात्रा निकालते हुए 

2,400 बीघा जमीन प्लांट के लिए अलोट

ग्रामीण व ओरण टीम ने इस कड़ाके की ठंड में पदयात्रा कर ओरण की जमीन को बचाने की मांग के सम्बन्ध में जैसलमेर कलेक्टर व जैसलमेर विधायक को ज्ञापन सौंप दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2022 में सरकार ने पारेवर गांव की करीब 2,400 बीघा जमीन वंडर सीमेंट के प्लांट के लिए अलॉट कर दी. जबकि उस जमीन में ओरण की जमीन भी शामिल है. हमारी मांग है कि उस जमीन का अलॉटमेंट खारिज करके प्रशासन ओरण कि जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में ओरण के नाम से दर्ज करवाए.

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ग्रामीणों की मांग है कि ओरण की जमीन को छोड़कर 'वंडर सीमेंट कंपनी' अपना प्लांट दूसरी जगह लगाए ताकि पेड़-पौधों, वनस्पति और जीव जंतुओं को नुकसान ना हो. 'पर्यावरण प्रेमी' और 'ओरण बचाओ टीम' के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर NDTV के कैमरे पर अपनी व्यथा बयां की.

ओरण के नाम पर दर्ज जमीन ट्रांसफर नहीं होती 

वही ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार व प्रशासन ने गलत तरीके से इस जमीन को बहुत कम दामों पर कम्पनी को दिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि ओरण के नाम पर दर्ज जमीन को किसी और के नाम ट्रांसफर नही किया जा सकता है. लेकिन बावजूद इसके कम्पनी को ओरण के नाम दर्ज जमीन में से भी कुछ जमीन अलॉट की गई है.

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लोकमान्यता से पशुपक्षी सुरक्षित

लोकजीवन में प्रचलित मान्यता है कि इन ओरणों में पेड़ काटने और खेती करने पर मनाही है. इस बात पर विश्वास नहीं करने पर ऐसी मान्यता है कि ओरण से सम्बंधित देवी-देवताओं का प्रकोप अनहोनी लाता है. जिसको शाँत करने के लिये देवस्थानों पर चाँदी के पेड़ चढ़ाने का प्रचलन भी रहा है.अधिकाँश ओरणों के देवस्थानों से जुड़े होने के कारण, रियासतकाल में इनमें वन्यजीवों का शिकार भी प्रतिबंधित था. इस कारण आज भी कुछ ओरणों में गोडावण, चिंकारा और प्रवासी पक्षियों की आवाजाही बनी रहती है.

ओरण की जमीन अलॉट करने पर विरोध में 'ओरण बचाओ, वन्यजीव बचाओ' का पोस्टर थामें ग्रामीण 

इस कड़ाके की ठंड में करीब 15 से 20 लोगों की टीम ने पदयात्रा निकाल कर जैसलमेर कलेक्ट्रेट और विधायक को भी ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों की मांग है कि ओरण की जमीन को छोड़कर 'वंडर सीमेंट कंपनी' अपना प्लांट कहीं और लगाए ताकि पेड़-पौधों, वनस्पति और जीव जंतुओं को नुकसान ना हो.

वंडर कम्पनी का अतिक्रमण

जिले की जैसलमेर तहसील में गांव पारेवर आता है. जिसमें सदियों से श्री आईनाथ जी की ओरण है. जो लगभग 10-15 हजार बीघा में फैली हुई है. जिसमें से कुछ हिस्सा दर्ज है लेकिन बहुत सा हिस्सा दर्ज होना बाकी है. जिसमें वंडर सीमेंट कम्पनी ने अनैतिक तरीके से आवंटन करवा रखा है. जहाँ हरे भरे पेड़ पौधे एवं घास है जो स्थानीय पशुपालन का मुख्य आधार है. पारेवर ओरण की बात करें तो वंडर कम्पनी के अतिक्रमण में जो ओरण है उसमें गांव के देवालय है, पूर्वजों के शमसान है, तालाब एवं तालाब के आगोर, खडीन खेतों के आगोर, बरसाती नदियां आई हुई है जिन्हें कम्पनी नष्ट कर सकती है जो सरासर अन्याय है.ओरण में बहुतायत में वन्यजीव है,जिनका जीवन खतरे में है.

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