धर्मांतरण विरोधी बिल क्या है और क्या होगा प्रावधान, डिप्टी सीएम ने बताया कब होगा विधानसभा में पास

राजस्थान विधानसभा बजट सत्र के दौरान सोमवार (3 फरवरी) को स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया. जिसमें धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं.

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Rajasthan Anti Conversion Bill: राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है. वहीं इस बजट सत्र में कई अहम विधेयक पास होंगे. जिसमें सबसे अधिक धर्मांतरण विरोधी विधेयक की चर्चा हो रही है. जिसे भजनलाल सरकार बजट सत्र में पास कराने वाली है. वहीं धर्मांतरण विरोधी विधेयक कब विधानसभा में पास कराया जाएगा. इसके बारे में खुद राजस्थान की डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने बता दिया है. उन्होंने कहा है कि यह बहुत ही जरूरी विधेयक है जिसे लाना बेहद जरूरी है.

राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक अगले महीने यानी मार्च माह में पारित हो सकता है. हालांकि डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने मंगलवार (4 फरवरी) को भीलवाड़ा दौरे के दौरान इसके संकेत दे दिए हैं.

बजट सत्र के अंतिम सप्ताह में पास होगा विधेयक

डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने कहा है कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक बहुत जरूरी बिल है, यह विधेयक आवश्यक था और बजट सत्र के अंतिम सप्ताह में इसे पारित किया जा सकता है. सत्र के आखिरी सप्ताह में पारित होने की पूरी संभावना है.

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दिया कुमारी ने यह बयान मीडिया को दिया जब वह भीलवाड़ा पहुंची थी. उन्होंने मीडिया से कहा, सत्र के आखिर में विधेयक पारित होने की संभावना है. जनता ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है. पीएम मोदी की गारंटी कामयाब होगी, क्योंकि वह जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं. 

धर्मांतरण विरोधी विधेयक में क्या है

आपको बता दें, राजस्थान विधानसभा बजट सत्र के दौरान सोमवार (3 फरवरी) को स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया. जिसमें धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि विधेयक में लव जिहाद को परिभाषित किया गया है. यानी विधेयक पारित होने के बाद कोई भी शख्स अगर जबरन या गलत बयानी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण कराता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी. यानी लव जिहाद को गंभीर अपराध माना जाएगा.

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धर्मांतरण विरोधी विधेयक में कितनी कड़ी सजा

विधेयक में धर्मांतरण विरोधी विधेयक गैर जमानती अपराध माना जाएगा. जबकि इसमें 1 साल कम से कम सजा होगी जिसे 5 साल तक बढ़ाने का प्रावधान होगी. इसके अलावा 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा. जबकि अगर पीड़ित नाबालिग है, महिला है, या SC और ST से संबंधित है तो आरोपी को 2 साल की सजा जो 10 साल तक बढ़ाई जा सकेगी और 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा. जबकि संगठित रूप से धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान होगा और 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

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