भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं. अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेज दिया, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का जिक्र किया है. आइए जानते हैं कि क्या है आर्टिकल 67(ए)?
अनुच्छेद 67(ए) का हवाला दिया
जगदीप धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(ए) का हवाला दिया, जिसमें उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का प्रावधान है. संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपने हाथ से लिखे पत्र द्वारा अपने पद से इस्तीफा दे सकता है. यह इस्तीफा तुरंत माना जाएगा. उपराष्ट्रपति की ओर से राष्ट्रपति को ही अपना इस्तीफा देना होता है.
राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र सौंपना होता है
अपने पांच साल के कार्यकाल से पहले कभी भी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, बस उन्हें राष्ट्रपति को एक लिखित त्यागपत्र सौंपना होगा. यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67 के अंतर्गत आती है, जो उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की रूपरेखा तय करता है.
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से अब भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. विशेषज्ञों का कहना है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए यह पद लंबे समय तक खाली नहीं रह सकता.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इस बात की प्रबल संभावना है कि धनखड़ के उत्तराधिकारी का चुनाव जल्द ही होगा, जैसा कि संसद के ऊपरी सदन के कामकाज में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा अनिवार्य किया गया है.
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