Lok Sabha Elections 2024: डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस! राहुल गांधी की बांसवाड़ा जनसभा के क्या हैं सियासी मायने?

Congress Guarantee: राहुल गांधी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए युवाओं को 5 गारंटियां दी हैं. उन्होंने कहा कि अगर इन लोकसभा चुनाव में जीत के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो इन्हें पूरा किया जाएगा.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी.

Rajasthan Politics: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आदिवासी अंचल में भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) के माध्यम से एक बार फिर कांग्रेस (Congress) के वोट बैंक रहे जनजाति वर्ग को साधने का प्रयास किया है. इस दौरान उन्होंने जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया तो वहीं उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आदिवासियों की हिमायती बताया. जनजाति क्षेत्र के सबसे बड़े नेताओं में शुमार महेंद्रजीत सिंह मालवीय (Mahendrajeet Singh Malvaiya) के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस पार्टी इस क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. इसके चलते कांग्रेस ने अपनी पांच महत्वपूर्ण गारंटियों की घोषणा के लिए भी आदिवासी जिले बांसवाड़ा को चुना.

कांग्रेस को जनाधार खोने की बड़ी चिंता

लोकसभा चुनाव को देखते हुए बांसवाड़ा में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की बात करें तो इसके कई राजनीतिक मायने हैं. आदिवासी क्षेत्र के दिग्गज नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. इसको लेकर कांग्रेस को आदिवासी क्षेत्र में अपना जनाधार खोने का डर है. इसके कारण उनमें चिंता भी उभर रही है. दूसरी ओर मालवीय लगातार कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर बीजेपी में शामिल करने के प्रयास में जुटे हुए हैं. ऐसे में राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के माध्यम से आदिवासी क्षेत्र में बिखर रही कांग्रेस को एकजुट करने का प्रयास माना जा रहा है. मालवीय के बाद अब तक इस क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक बड़े नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी है, जिसके कारण आने वाले लोकसभा चुनावों से इसका लाभ भाजपा को नहीं मिले, इसके लिए कांग्रेस खुद को जनजाति समाज का सबसे बड़ा हिमायती बताया है.

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आदिवासी क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले का गणित

आदिवासी क्षेत्र को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बाद क्षेत्रीय पार्टी भारत आदिवासी पार्टी के सक्रिय होने से सभी पार्टियां अपने वोट बैंक को बचाने के लिए एक्टिव हो गई हैं. पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मानगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभा कर आदिवासी समाज को साधने का प्रयास किया था. इसी तरह तब राहुल गांधी ने भी विधानसभा चुनाव में प्रचार का आगाज भी विश्व आदिवासी दिवस पर मानगढ़ धाम से ही किया था. पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा और डूंगरपुर को अपना गढ़ बनाने के लिए सदा प्रयास करती रही हैं, लेकिन यहां क्षेत्रीय पार्टी भारत आदिवासी पार्टी के आने के बाद राजनीतिक रस्सा कस्सी और तेज हो गई है.

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