कौन है जीतेश कटारा? BAP ने फिर जताया भरोसा, बीजेपी-कांग्रेस को दे चुके हैं मात

भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने सलूंबर विधानसभा सीट पर उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. सलूंबर सीट पर BAP ने जीतेश कटारा को दोबारा मौका दिया है.

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जीतेश कटारा भारत आदिवासी पार्टी

Jitesh Katara: राजस्थान में विधानसभा सभा उपचुनाव 2024 के लिए नामांकन शुरू हो गया है. चुनाव आयोग द्वारा 18 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी करने के साथ ही विधानसभा उपचुनाव का नामांकन शुरू हो गया है. राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है. अब तक विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. हालांकि भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने सलूंबर विधानसभा सीट पर उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. सलूंबर सीट पर BAP ने जीतेश कटारा को दोबारा मौका दिया है.

जीतेश कटारा (जीतेश कुमार मीणा) को साल 2023 के विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने सलूंबर सीट से ही उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में जीतेश को 51691 वोट मिले के साथ वह तीसरे स्थान पर रखे थे. जबकि बीजेपी के अमृतलाल मीणा पहले स्थान और कांग्रेस के रघुवीर सिंह मीणा दूसरे स्थान पर रहे थे.

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जीतेश कटारा बीजेपी और कांग्रेस को दे चुके हैं मात

जीतेश कटारा आदिवासी परिवार से साल 2015 से जुड़े हैं. वहीं साल 2016 से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं. भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्च में साल 2017 में सराडा कॉलेज की कमान संभाली थी. यहीं से जीतेश की राजनीति शुरू हुई थी. साल 2019 में कॉलेज में विद्यार्थी मोर्चा को चुनाव जीताने में सक्रिय भूमिका निभाई. वहीं 2022 में सराडा कॉलेज में फिर से बीजेपी और कांग्रेस के विद्यार्थी संगठनों को चुनाव में मात दी. इसी सांगठनिक कौशल को देखकर जीतेश के काम को सराहा गया. जिसके बाद साल 2023 में BAP ने सलूंबर विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया था.

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जीतेश ने बीए और एमए की डिग्री की है. जीतेश ने हिंदी साहित्य से एमए किया है. फिलहाल वह LLB की भी पढ़ाई कर रहे हैं. जीतेश के परिवार में पिता कारीगर है. जबकि उनकी मां का साल 2015 में देहांत हो गया है. उनके परिवार में कोई राजनीति में नहीं है.

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जीतेश सामाजिक कामों में से जुड़े रहते हैं. उनका कहना है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, ग्रामीण इलाकों में सड़कों का अभाव, शिक्षा - स्वास्थ्य, परिवहन की समस्याएं हैं. इन्हीं मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. इनका समाधान करना ही चुनावी मुद्दा होगा.

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