कौन हैं वीरेंद्र बेनीवाल, दोबारा कांग्रेस में लौटे, बगावत कर लड़ा था विधानसभा चुनाव

दिलचस्प है कि निर्दलीय वीरेंद्र बेनीवाल और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मुंड दोनों ही चुनाव हार गए. जीत बीजेपी उम्मीदवार सुमित गोदारा को मिली. लोकसभा चुनाव में वोटों को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस ने वीरेंद्र बेनीवाल को दोबारा पार्टी ज्वाइन कराने में कामयाब रही.

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कांग्रेस में लौटे बागी वीरेंद्र बेनीवाल

Lok Sabha 2024: लूणकरणसर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले वीरेंद्र बेनीवाल की आखिरकार कांग्रेस में वापसी हो गई. वीरेंद्र बेनीवाल ने कांग्रेस से बगावत करके विधानसभा चुनाव लड़ा था. खुद को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाकर विधासभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव में उतरे वीरेंद्र ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ राजेंद्र मुंड को चुनौती दी थी.

दिलचस्प है कि निर्दलीय वीरेंद्र बेनीवाल और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मुंड दोनों ही चुनाव हार गए. जीत बीजेपी उम्मीदवार सुमित गोदारा को मिली. लोकसभा चुनाव में वोटों को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस ने वीरेंद्र बेनीवाल को दोबारा पार्टी ज्वाइन कराने में कामयाब रही.

गहलोत ने वीरेंद्र बेनीवाल की पुनर्वापसी में बड़ी भूमिका निभाई

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीरेंद्र बेनीवाल को कांग्रेस में पुनर्वापसी में बड़ी भूमिका निभाई. हालांकि वीरेंद्र बेनीवाल ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का हाथ छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ राजेंद्र मुंड के वोट काटे थे, लेकिन अब सारा परिदृश्य बदल चुका है और वीरेंद्र और राजेंद्र दोनों साथ आ चुके हैं.

बीकानेर कांंग्रेस प्रत्याशी गोविंद राम मेघवाल का दबाव रंग लाया

कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद राम मेघवाल वीरेन्द्र बेनीवाल और डा. राजेंद्र मुंड के वोट बैंक खिसकने से आशंकित थे, इसलिए उन्होंने पार्टी पर दवाब बनाया कि वीरेंद्र बेनीवाल की पार्टी में वापसी जरूरी है वरना कांग्रेस को लूणकरणसर में नुकसान होगा. अगर दोनों एक साथ आ जाए तो पार्टी को इससे फायदा मिलेगा.

वीरेंद्र बेनीवाल को मनाने में पूर्व मंत्री डॉ. कल्ला लगाया गया

पूर्व मंत्री डॉ. कल्ला को वीरेंद्र बेनीवाल को मनाने में लगाया गया. उससे पहले जिला अध्यक्ष देहात विशनाराम सियाग भी बेनीवाल से मुलाकात कर चुके थे. नामांकन के दो दिन पहले पूर्व सीएम गहलोत जब आए तो गोविंद राम मेघवाल के घर पर बंद कमरे में यह रणनीति बनीं और वीरेंद्र बेनीवाल ने गहलोत की बात मान ली.

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बेनीवाल गहलोत कैबिनेट में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं और उनके अशोक गहलोत के साथ अच्छे रिश्ते हैं. ऐसे में वे गहलोत की बात को टाल नहीं सके और कांग्रेस में उनकी पुनर्वापसी पर मुहर लग गई. 

बेनीवाल के आने से राहत महसूस कर रहे हैं गोविन्द राम मेघवाल

वीरेंद्र बेनीवाल की कांग्रेस में वापसी से अब वीरेंद्र और मूंड एक साथ आ गए हैं. इससे अब श्रीडूंगरगढ़ में भी कांग्रेस और सीपीएम का वोट नहीं बंटेगा. क्योंकि इन्डिया गठबन्धन में होने की वजह से सीपीएम भी कांग्रेस के साथ है. पूर्व विधायक गिरधारी लाल महिया खुद गोविन्द राम मेघवाल के लिए वोट करने की अपील कर रहे हैं.

पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा और महिया भी साथ आ चुके हैं

उधर, पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा और महिया के साथ आने से गोविंद राम मेघवाल को भी राहत मिली है. कुछ ऐसा ही नज़ारा कोलायत में देखने को मिल रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में रेवंतराम पंवार यहां से कांग्रेस के बागी थे और रालोपा से उम्मीदवार थे, लेकिन अब कांग्रेस और रालोपा का गठबन्धन हो जाने से वे भी गोविन्द राम के साथ आ चुके हैं. ये सियासी मंज़र देख कर लगता है की गोविंद राम सारे बिखरे वोटों को इस लोकसभा चुनाव में समेटते नज़र आ रहे हैं.

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प्रभुदयाल सारस्वत और कन्हैयालाल झंवर पर कांग्रेस की नजर

दो नेता ऐसे हैं जो अभी ख़ामोश हैं, इनमें से एक हैं नोखा से विकास मंच बनाकर चुनाव लड़ने वाले कन्हैयालाल झंवर और दूसरे हैं लूणकरणसर से विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर लड़ने वाले प्रभुदयाल सारस्वत. इन दोनों नेताओं का जनाधार भी काफ़ी बड़ा है, लेकिन अभी तक दोनों ने ही अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लोकसभा चुनाव लड़ रहे दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों की नज़र इन दोनों पर है.

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