Rajasthan: जयंती तो मनी, पर सर्वसम्मति के बाद भी क्यों अटका है भैरों सिंह शेखावत मार्ग का नामकरण?

प्रदेश में अब बीजेपी की सरकार है. निगम में भी बीजेपी का शासन है. महापौर, उप-महापौर सब बीजेपी के हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर बीजेपी के पुरोधा के नाम से किसको परहेज है?

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भैरों सिंह शेखावत की तस्वीर पर माल्यार्पण करते मदन राठौड़
@madanrrathore

राजस्थान में आज भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत को याद किया जा रहा है. शेखावत की 102 वीं जयंती पर सीएम भजनलाल शर्मा के साथ ही बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर, उपमहापौर पुनीत कर्णावट, सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री और बीजेपी से जुड़े कई चेहरों ने शेखावत को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए. लेकिन इस बीच सवाल यह भी उठ रहा है कि जयपुर नगर निगम शेखावत के नाम से सड़क नामकरण पर अड़ंगा क्यों लगा रहा है? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि 8 जुलाई 2024, यानि तकरीबन सवा साल पहले शेखावत के नाम से सड़क के नामकरण का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो चुका है. नगर निगम में पक्ष-विपक्ष सब इस बात पर सहमत थे.

प्रदेश में अब बीजेपी की सरकार है. निगम में भी बीजेपी का शासन है. महापौर, उप-महापौर सब बीजेपी के हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर बीजेपी के पुरोधा के नाम से किसको परहेज है? सवाल यह भी कि क्या ग्रेटर निगम में बीजेपी के महापौर और उप-महापौर में ऑल-इज़-नॉट वैल की स्थिति हो गई है?

प्रदेश के पुरोधाओं और वरिष्ठ नेताओं को सम्मान देने के लिए सड़क, पार्क का नामकरण या उनकी प्रतिमा लगाने की परिपाटी रही है. जयपुर में भी टोंक रोड का नाम पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरो सिंह शेखावत के नाम पर रखे जाना का प्रस्ताव आया और पारित भी हुआ, लेकिन एक अड़ंगे के चलते यह फ़ैसला अभी तक लागू नहीं हो पाया. 

क्या कहना है जयपुर नगर निगम का?

जयपुर नगर निगम ग्रेटर के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने बताया कि नगर निगम की कार्यकारी समिति की तीसरी बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके तहत रामबाग सर्किल से लेकर नगर निगम सीमा तक टोंक रोड का नाम “भैरों सिंह शेखावत मार्ग” रखे जाने पर सहमति बनी थी. यह फ़ैसला राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत की स्मृति को समर्पित था.

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महापौर सौम्या गुर्जर से बात किये जाने के सवाल पर कर्णावट कहते हैं कि उन्होंने सबसे बात की है, और यहां तक की प्रतिपक्ष के नेता राजीव चौधरी से भी बात की है. इतना सब होने के बाद आखिर गतिरोध किस बात को लेकर है? जब यह सवाल हुआ तो डिप्टी मेयर ने कहा कि कि हर काम के होने का दिन तय होता है, और हो सकता है कि आगामी पांच-सात दिन में यह नामकरण हो जाए. 

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आयुक्त से अनुमति के प्रावधान की वजह से हो रही देरी?

हालांकि, नामकरण के इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन में इस वजह से भी देरी हुई कि सरकार के 31 अगस्त 2000 के नोटिफिकेशन के मुताबिक नामकरण से पहले संभागीय आयुक्त से अनुमति लेना ज़रूरी है. लेकिन डिप्टी मेयर कर्णावट ने कहा कि यह तर्क पूरी तरह निराधार है. उन्होंने साफ करते हुए कहा कि, 31 अगस्त 2000 का नोटिफिकेशन मात्र प्रशासनिक दिशा-निर्देश है और यह विधिक अधिनियम यानि लीगल एक्ट का दर्जा हासिल नहीं कर सकता. 

उन्होंने कहा कि,"नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 240 के मुताबिक, नगर निगम को अपने क्षेत्र में सड़कों, चौराहों और स्थलों के नामकरण का पूरा अधिकार हासिल है.ऐसे में संभागीय आयुक्त से अनुमति हासिल करने की शर्त विधिक दृष्टि से गैर-ज़रूरी और नगर निगम की स्वायत्तता के खिलाफ़ है."

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हालांकि पिछले दिनों उप-महापौर कर्णावत ने भैरों सिंह शेखावत की जयंती पर इस नामकरण को क्रियान्वित करने और एक बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम करने के निर्देश भी निगम में दिए. लेकिन इसके बावजूद शेखावत की जयंती का दिन भी  नामकरण नहीं हो पाया. 

हालांकि इस सबके पीछे कारण का खुलासा डिप्टी मेयर खुद भी नहीं कर रहे. लेकिन बताया जा रहा है कि जयपुर नगर निगम में बीजेपी बोर्ड के बड़े चेहरों में ऑल-इज़-नॉट वैल की स्थिति है. भैंरो सिंह शेखावत के समाधि स्थल पर आयोजित कार्यक्रम भी ग्रेटर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर और उप-महापौर पुनीत कर्नावट दोनों ही मौजूद तो थे, लेकिन दोनों में  कोई सामान्य शिष्टाचार का अभिवादन नहीं हुआ.

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