Exclusive: राजस्थान में पंचायत चुनाव में देरी क्यों? मंत्री मदन दिलावर ने NDTV पर बताई अंदर की 'असली' बात

Madan Dilawar Statement on Panchayat Election Date: पंचायतीराज मंत्री ने दावा किया कि सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी पंचायतीराज विभाग में जो प्रशासक नियुक्त किए गए हैं, वे पूरी सक्रियता और जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं.

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राजस्थान में पंचायत चुनाव की तारीख को लेकर मंत्री मदन दिलावर ने बड़ा बयान दिया है.
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान में पंचायतीराज चुनाव (Rajasthan Panchayat Election) में हो रही देरी को लेकर जहां गांवों में विकास कार्यों के प्रभावित होने की चिंताएं बढ़ रही थीं, वहीं अब इस पूरे मामले पर पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) का बड़ा बयान सामने आया है. NDTV राजस्थान के साथ खास बातचीत में मंत्री दिलावर ने पंचायत चुनाव की देरी का असली कारण बताया है और साथ ही सरकार की वन स्टेट वन इलेक्शन (One State One Election) के तहत चुनाव कराने की मंशा को भी साफ किया है.

'विकास कार्य ठप होने जैसी कोई स्थिति नहीं'

पंचायत चुनाव लेट होने से गांवों में हो रही कथित परेशानियों के सवाल पर, मंत्री दिलावर ने डैमेज कंट्रोल करते हुए स्पष्ट किया कि विकास कार्य ठप होने जैसी कोई स्थिति नहीं है. उन्होंने स्वीकार किया कि जमीनी स्तर पर थोड़ी बहुत परेशानी जरूर आ रही हैं, जिसका मुख्य कारण केंद्र से मिलने वाली राशि की किस्तों का कभी-कभी लेट हो जाना है.

'प्रशासक सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं'

पंचायतीराज मंत्री ने दावा किया कि सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी पंचायतीराज विभाग में जो प्रशासक (Administrators) नियुक्त किए गए हैं, वे पूरी सक्रियता और जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं. मंत्री दिलावर ने बताया कि हाल ही में सरपंचों का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था, और चुनाव देरी समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी विस्तृत चर्चा हुई है.

राजस्थान में पंचायती राज चुनाव कब होंगे?

जब मंत्री मदन दिलावर से पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर सीधा सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव कब होंगे, यह पूरी तरह से ओबीसी आयोग (OBC Commission) की रिपोर्ट पर निर्भर करता है. मंत्री के अनुसार, ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आना अभी बाकी है. जैसे ही यह रिपोर्ट सरकार को मिलेगी, इसे मंत्रिमंडल में रखा जाएगा और इस पर जरूरी फैसला लिया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि जब तक ओबीसी आरक्षण की स्थिति साफ नहीं होती, तब तक चुनाव कराना कानूनी रूप से संभव नहीं होगा.

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सरकार की मंशा: 'वन स्टेट वन इलेक्शन'

चुनावों की देरी के बीच मंत्री दिलावर ने एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक मंशा को उजागर किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा वन स्टेट वन इलेक्शन (One State, One Election) के तहत चुनाव कराने की है.

दरअसल, वन स्टेट वन इलेक्शन का सिद्धांत वन नेशन वन इलेक्शन के व्यापक विचार का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश भर में चुनावों की संख्या और लागत को कम करना है. यदि सरकार इस मंशा पर आगे बढ़ती है, तो इसका अर्थ यह हो सकता है कि राज्य के भीतर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय (पंचायत व शहरी निकाय) चुनावों को एक ही समय या एक ही कैलेंडर वर्ष के आस-पास लाने का प्रयास किया जाएगा. हालांकि, मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह प्रक्रिया कब और कैसे पूरी होगी, लेकिन सरकार की नीतिगत दिशा को जरूर इंगित कर दिया है.

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