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बूंदी के चावल की चमक क्यों हो रही फीकी? 1 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक गिरे भाव; ग्राउंड रिपोर्ट में जानें किसानों का दर्द

NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में किसानों ने बताया कि उन्होंने लीज पर खेत लेकर चावल का उत्‍पादन तो कर लिया, लेकिन अब लागत भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मजदूरी कर घर का खर्च चलाना पड़ रहा है. 

बूंदी के चावल की चमक क्यों हो रही फीकी? 1 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक गिरे भाव; ग्राउंड रिपोर्ट में जानें किसानों का दर्द
बूंदी में धान की चढ़ाई करते मजदूर

Rajasthan News: धान का कटोरा के नाम से प्रसिद्धि पा चुके बूंदी के चावल दाम कम मिलने से दुनिया में इसकी चमक फीकी पड़ रही है. खाड़ी देशों में बने युद्ध के हालातों का सीधा असर बूंदी जिले में धान की खेती करने वाले किसानों पर पड़ रहा है. देश विदेश में मांग ज्‍यादा होने के बावजूद दाम कम मिलने से किसानों में नाराजगी बढती जा रही है. दामों की कमी से जूझ रहे किसान अब आंदोलन को मजबूर है. वहीं कुछ किसान ऐसे है, जिन्‍होंने कर्जा लेकर धान की खेती का जोखिम उठाया था. उन्‍हें भी अब कर्जा चुकाने की चिंता सता रही है.

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किसानों के अनुसार अन्‍तर्राष्‍ट्रीय बाजारों में धान की मांग लगातार तेज हो रही है, लेकिन भारतीय बाजारों में दाम कम मिल रहे है और इस दाम में फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. फसल उत्पादन में खर्चा अधिक होने से अब कर्ज में डूबने की स्थितियां बनी हुई है. जबकि व्यापारियों का कहना है कि विदेशी एक्सपोर्ट कम होने के चलते दाम गिरे हैं. एक्सपोर्ट चालू हो जाएगा तो दाम में तेजी देखी जाएगी. 

मजदूरी कम मिलने से रोजगार पर संकट

धान उत्पादक किसान ने बड़े जतन से धान की पैदावार की, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण आज धान उत्पादक किसान मायूस हैं. जानकारी के अनुसार बूंदी जिले के 60 हजार किसान परिवार धान की खेती पर निर्भर है. इसके अलावा हर साल बड़ी संख्‍या में बिहार से श्रमिक रोपाई के लिए यहां आते है. धान की रोपोई का अच्‍छा अनुभव होने के कारण बिहारी मजदूर यहां आते है, लेकिन इसबार पिछले कुछ साल से कम मजदूरी मिलने के कारण उनके रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है. 

राजस्थान में सबसे ज्यादा चावल की बूंदी में पैदावार

बाकी अन्य जिलों में काफी कम मात्रा में चावल होता है. ऐसे में चावल की खरीद पर असर पड़ा तो भाव निचे जाते ही जा रहे है किसान परेशान है. पिछले साल बूंदी मंडी में धान का मूल्य 3500 प्रति क्विंटल था, जो वर्तमान में 26 से 2500 प्रति क्विंटल रह गया है. बूंदी मंडी में धान बेचने आए किसानों ने बताया कि अपनी उपज का पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है. नतीजन किसान परेशान हैं.

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इस साल जब बूंदी मंडी में धान की आवक शुरू हुई थी तब मंडी में धान 3200 रुपए प्रति क्विंटल था, लेकिन अब यह घटकर 2600 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है. बूंदी के बासमती चावल के स्वाद की दुनिया कायल है. यहां के चावल की इराक, इरान, कुवैत, ओमान, कतर सऊदी अरब संयुक्त अरब अमिरात आदि में काफी मांग है. इस साल धान की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा लागत आई है. मौजूदा भावों में किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल है. 

धान का 82 हजार हेक्टेयर हुआ है रकबा

जिले में 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष धान की फसल हुई है. बूंदी जिले में ही 22 चावल फैक्ट्रियां हैं, जो वर्तमान गतिरोध के कारण संकट के दौर से गुजर रही है. पूरे साल में कोटा - बूंदी - बारां से एक साल में 1500 करोड़ से अधिक चावल ईरान खरीदता है. अकेले बूंदी से ही 18 से 2 हजार करोड़ का चावल मार्केट में जाता था और 1000 करोड़ का चावल खुद ईरान खरीदता था.

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हाड़ौती में चावल का वार्षिक टर्नओवर 2 हजार करोड़ से ऊपर चला गया है. बूंदी में कुल उत्पादिक धान का 80 से 90 प्रतिशत देश व विदेश में भेजा जाता है. मंडी में विभिन्न धान की किस्मों के भाव की बात की जाए तो भाव इस प्रकार रहे. किस्म 1121-2 हजार 681 प्रति क्विंटल किस्म 1509, 2 हजार 261 रुपए प्रति क्विंटल, पूसा के 2 हजार 191 प्रति क्विंटल, सुगंधा 2 हजार 335 रुपए प्रति क्विंटल रहे है. 

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