Winter solstice 2024: आज यानी 21 दिसंबर को आपको सिर्फ 10 घंटे ही सूर्य देवता के दीदार करने को मिलेंगे, जो आमतौर पर 12 घंटे धरती पर रहते है. लेकिन विंटर सोल्सटिस के कारण 2 घंटे की अवधि घट चुकी है, जिसे विंटर सोल्सटिस (Winter Solstice 2024) कहते हैं, जो हर बार सर्दियों के मौसम ( Winter Season) में आता है. जिसकी शुरुआत भारत में नवंबर के दूसरे हफ्ते से होती है. क्योंकि यही वो समय होता है जब सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है. खासकर देश के उत्तरी इलाकों में इस दौरान तापमान काफी कम रहता है.
21 दिसंबर होता है साल का सबसे छोटा दिन
आमतौर पर सर्दियों के मौसम में दिन छोटा और रात लंबी होती है. विज्ञान के अनुसार दिन और रात बराबर बंटे होते हैं, लेकिन साल के 365 दिनों में से एक दिन ऐसा होता है, जिसमें दिन सबसे छोटा होता है. इसे विंटर या हाइबरनल सोलस्टाइस के नाम से भी जाना जाता है. जिसे ज्यादातर विंटर सोलस्टाइस के नाम से लोगों के बीच फेमस है.
विंटर सोल्सटिस 2024 क्या होता है?
शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice 2024) वह दिन होता है जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य से सबसे दूर होती है. इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है. यह ज्यादातर पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के देशों में ही ऐसा होता है. वहीं दक्षिण गोलार्ध वाले देशों में स्थिति बिल्कुल उल्टी होती है. वहां दिन बड़ा और रात छोटी होती है.
कब कहां कितने बजे होगा सूर्यास्त
सूर्यास्त का समय हर जगह अलग-अलग होता है और किसी स्थान पर पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी की मात्रा उस राज्य की स्थिति पर निर्भर करती है. ऐसा ज़्यादातर पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध के देशों में होता है. जबकि दक्षिणी गोलार्ध के देशों में स्थिति बिलकुल उलट होती है. वहां दिन बड़ा और रात छोटी होती है. राजस्थान में सूर्योदय 7 बजकर 10 मिनट पर हुआ था. वही सूर्यास्त शाम 5 बजकर 28 मिनट पर भारतीय समयानुसार होगा.
शीतकालीन संक्रांति का प्रभाव
शीतकालीन संक्रांति का प्रभाव न केवल वातावरण पर पड़ता है, बल्कि यह हमारे जीवन पर भी प्रभाव डालता है. इस दिन के बाद, दिन धीरे-धीरे लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. इसके अलावा, इस दिन के बाद, प्रकृति में नई जीवन और ऊर्जा का संचार होता है.