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Rafiq Sagar Passes Away: बीकानेर के लोकप्रिय संगीतकार रफीक सागर का निधन, कई बॉलीवुड-भोजपूरी फिल्मों में थी प्लेबैक सिंगिंग

Rafiq Sagar Death Reason: बॉलीवुड और भोजपूरी की कई पिक्चरों में म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर के तौर पर काम कर चुके बीकानेर के लाडले रफीक सागर का शनिवार सुबह हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया.

Rafiq Sagar Passes Away: बीकानेर के लोकप्रिय संगीतकार रफीक सागर का निधन, कई बॉलीवुड-भोजपूरी फिल्मों में थी प्लेबैक सिंगिंग
लता मंगेशकर के साथ रफीक सागर.

Rajasthan News: राजस्थान के बीकानेर जिले से शनिवार सुबह दुखद खबर मिली. लंबे अरसे से बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों में अपनी सेवाएं देने वाले रफीक सागर का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया. इस खबर से पूरे जिले में शोक की लहर छा गई. लोग उनके आखिरी दिदार के लिए उनके घर पहुंचने लगे.

फिल्मफेयर अवार्ड विनर के पिता

रफीक सागर गजलों और भजनों के गायन में अपने अनूठे अंदाज के लिए जाने जाते थे. वे गजल लीजेंड मेंहदी हसन को अपना उस्ताद मानते थे. क्षत्रिय फिल्म के गीत 'सपने में सखी' से उन्हें नई पहचान मिली थी. वो ब्लॉकबस्टर गीत साबित हुआ था. लोग उन्हें पहचानने लगे थे और हर जगह उनकी चर्चाएं होने लगी थीं. आपको बता दें कि रफीक सागर प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर राजा हसन के पिता हैं, जिन्हें 1 हफ्ते पहले ही फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड 2024 से नवाजा गया है.

रफीक सागर 72 वर्ष के थे और करीब 50 सालों तक उन्हें बॉलीवुड और भोजपुरी सिनेमा वर्ल्ड में काम किया.

दोस्तों के एहसान पर गुनगुनाया गाना

1 नवंबर को फेसबुक पर शेयर की गई आखिरी वीडियो पोस्ट में रफीक सागर जनता का आभार जताते हुए नजर आए थे. वो मौका उनके जन्मदिन का था. उन्होंने 'एहसान मेरे दिल के तुम्हारा है दोस्तो' गाना गुनगुनाया और जनता को बधाईयों के लिए शुक्रिया कहा. इससे पहले उन्होंने खाटू श्याम पर भजन रिकॉर्ड करते हुए एक वीडियो क्लिक शेयर की थी. वो महीने अक्टूबर का था, जब उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जल्द ही उसके रिलीज होने का ऐलान किया था.

विरासत में मिला संगीत

बीकानेर के शीतला गेट स्थित मोहल्ला दमामियांन में पैदा हुए रफीक सागर को संगीत का माहौल विरासत में मिला. उनके पिता मरहूम अल्लाह रखे खां खुद बहुत अच्छे गायक थे. उन्हीं के कदमों में बैठ कर रफीक सागर ने संगीत का क-ख-ग सीखा. उनकी माता मेहरा बेगम ने उन्हें बचपन से ही नात, हम्द, सलाम, मर्सिया और नोहा पढ़ना और पेश करना सिखाया. साथ ही उनके पिता ने सभी धर्मों की तालीम भी दी. यही वजह है कि रफीक सागर अपनी गजलों, गीतों के जितने जाने जाए हैं, उतने ही अपने भजनों के लिए भी प्रसिद्ध हैं.

उनके द्वारा गाये गए आईना, नवाजिश और सदा सहित गजलों के कई अल्बम्स बहुत मशहूर हुए. इसमें अलावा चाल रुणिचे और बाबा रामदेव की महिमा सहित अनेक भजनों के अल्बम्स की सफलता भी उनके नाम है.

लता मंगेशकर का हाथ हमेशा उनके सिर पर रहा

बाबे के दरबार में मार घमाघम भजन से वे भजनों की दुनिया के भी बादशाह कहलाने लगे. बॉलीवुड के सभी लीजेंड्स के साथ उन्होंने काम किया. स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का आशीर्वाद भरा हाथ हमेशा उन पर रहा. 72 वर्ष की उम्र में भी वे पूरी तरह सक्रिय थे. कामयाबी के शिखर पर पहुंचकर भी रफीक सागर अपनी जमीन को नहीं भूले. पूरे शहर में सभी से सलाम-नमस्कार का उनका रिश्ता रहा. चाहे ईद हो या दीवाली उनके लिए सब ईश्वर की नैमतें थीं. बीकानेर का ये लाडला आज अपने आखिरी सफर पर निकल कर उस परमपिता परमेश्वर से जा मिला. एनडीटीवी की तरफ से दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि.

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