'बिन पानी सब सून', डीडवाना में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं लोग, पढ़िए NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट

डीडवाना जिले के शेखाबासनी में जल संकट गहरा गया है. इस इलाके में विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों के हलक सूख रहे हैं. जिले के लोग ऊंचे दाम खर्च कर टैंकरों से पानी मंगवाने पर मजबूर हैं. मगर प्रशासन की नजर यहां पर नदारद है.

Advertisement
Read Time: 17 mins

Water Scarcity Ground Report: कहते हैं जल ही जीवन है. मगर जब पीने के लिए भी जल ना मिले तो कैसे जिया जाए ? डीडवाना जिले में नागौर लिफ्ट कैनाल परियोजना पर जापान के सहयोग से सरकार ने 3 हजार करोड़ रुपए खर्च किए है. इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पेयजल के लिए तरसने को मजबूर हैं.

डीडवाना के ग्राम शेखा बासनी में लोग लम्बे समय से पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीण पिछले लगभग 8 सालों से ज्यादा समय से जलदाय विभाग की उदासीनता और लापरवाही का दंश झेल रहे है. बार-बार मांग किए जाने और ज्ञापन दिए जाने के बावजूद भी अब तक ग्रामीणों की पेयजल समस्या का स्थाई रूप से समाधान नहीं हो सका है. वहीं विभागीय अधिकारी ग्रामीणों को गोलमोल जवाब देकर इतिश्री करने में जुटे हुए हैं.

Advertisement

कई सालों से पड़ा है सूखा

खाली पड़ा जीएलआर और टूटे पड़े नल, सूखी पड़ी खेलियाँ तो प्यासे फिरते इंसान ओर मवेशी, डीडवाना जिला मुख्यालय से सटे ग्राम शेखाबासनी में पेयजल के यही हालात हैं. दरअसल ग्राम शेखा बासनी में पानी की समस्या भी विभागीय लापरवाही से उलझाकर रह गई है. जिसके कारण इस गांव में लंबे समय से पेयजल संकट बना हुआ है. गांव में जलदाय विभाग का जीएलआर तो बना हुआ है, मगर कई सालों से जीएलआर सूखा पड़ा है. लंबे अरसे से जीएलआर से पानी की बूंद तक नहीं टपकी है. 

Advertisement
कुछ सालों पूर्व नहर परियोजना की पाइपलाइन डलने से ग्रामीणों को पेयजल संकट से निजात की उम्मीद बंधी थी, लेकिन कुछ भी समय बाद यह उम्मीद भी टूट गई. गांव में सही ढंग से नहरी परियोजना की लाइन नहीं डालने से आज भी पेयजल संकट कायम है.

अवैध कनेक्शन से हो रही समस्या 

यही नहीं गांव में आ रही पाइप लाइनों से पानी चोरी भी किया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि पाइप लाइन में हाईवे पर स्थित होटलों, ढाबो और सर्विस सेंटरों ने अवैध कनेक्शन कर लिए हैं. जिससे पूरा पानी गांव तक नहीं पहुंच पाता है.
हालात यह है कि पेयजल संकट से जहां ग्रामीणजन के सामने अपनी प्यास बुझाने का संकट उठ खड़ा हुआ है तो वहीं मवेशी भी प्यासे भटकने को मजबूर हैं. इंसान तो किसी तरह टैंकरों से पानी मंगवाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं, मगर मवेशियों को पीने का पानी तक नहीं मिल पाता है. 

Advertisement

सब जगह लगाई गुहार, नहीं हुआ समाधान
इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणजन विधायक, जिला कलेक्टर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी तक से गुहार लगा चुके हैं और कई बार ज्ञापन भी दे चुके हैं। जिस पर विभाग ने दिखावटी रूप से फौरी तौर कार्रवाई की, मगर कुछ दिन गुजरने के बाद फिर से वही स्थिति फिर से उत्पन्न हो जाती है ओर ग्रामीणजनों को फिर से पेयजल से महरूम रहना पड़ता है. 

टैंकरों से पानी मंगवाने की मजबूरी
पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है, लेकिन ग्रामीणों के लिए टैंकरों से पानी मंगवाना भी भारी पड़ता है. प्रत्येक टैंकर के लिए ग्रामीणों को 500 से 700 रुपये तक खर्च करना पड़ता है, जिससे टैंकर वालों की चांदी हो रही है तो वही लोगो लिए पानी अनाज से भी ज्यादा महंगा पड़ रहा है.

अधिकारियों की उदासीनता पड़ रही भारी

एक ओर सरकार पेयजल समस्या के समाधान के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और नई नई योजनाएं बना रही है, मगर पेयजल की समस्या दूर करने में विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की उदासीनता पेयजल संकट को दूर करने की है बजाय बढ़ा ही रही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो इस तरह की समस्याओं के प्रति गंभीर हो और अधिकारियों को समस्याओं के समाधान के सख्त निर्देश दे, ताकि हर गांव-ढाणी में रहने वाले लोगों की प्यास बुझ सके.

इसे भी पढ़े: Rajasthan Weather Update: मकर सक्रांति के दिन भी राजस्थान में सर्दी का सितम जारी, IMD ने बताया आगे कैसा रहेगा मौसम