Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित कावंटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का खुले में प्रसव कराने का प्रकरण सामने आया था. वहीं अब इस मामले में प्रशासन ने बड़ा एक्शन लिया है. इस मामले में जहां प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए तीन रेजीडेंट डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. वहीं राज्य सरकार ने प्रकरण में पर्यवेक्षणीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
प्रशासन ने जिन तीन रेजीडेंट डॉक्टरों को निलंबित किया है उनमें डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत और डॉ. मनोज मनोज शामिल हैं. वहीं इस पूरे मामले में जांच कमेटी भी गठित की गई थी.
अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्रकरण सामने आने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम दृष्टया रेजीडेंट डॉक्टर डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज की गंभीर लापरवाही एवं संवेदनहीनता सामने आई है. जांच समिति की रिपोर्ट के उपरांत एसएमएस मेडिकल कॉलेज की अनुशासनात्मक समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार इन तीनों रेजीडेंट चिकित्सकों को निलम्बित किया गया है. साथ ही पर्यवेक्षणीय लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
अस्पताल के गेट पर कराया प्रसव
शुभ्रा सिंह ने कहा कि बुधवार (3 अप्रैल) को जयपुर के कांवटिया अस्पताल में एक महिला का अस्पताल के गेट पर प्रसव होने का मामला दुर्भाग्यपूर्ण है. मानवीयता से जुड़े चिकित्सकीय पेशे में ऐसे असंवेदनशील व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी के चलते चिकित्सकों ने गर्भवती महिला को जनाना अस्पताल रेफर करने की सलाह दी थी, लेकिन स्पष्ट रूप से रेफर नहीं किए जाने के कारण भ्रामक स्थिति पैदा हुई और महिला अस्पताल से बाहर आ गई तथा उसका खुले में प्रसव हो गया.
असंवेदनशील व्यवहार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बर्दाश्त नहीं करेगा
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि मानवीय एवं जनसेवा से जुड़े से इस पेशे से संबंधित सभी चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टॉफ एवं अन्य कार्मिकों को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए. आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना एवं जीवन रक्षा ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने बताया कि असंवेदनशील व्यवहार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बर्दाश्त नहीं करेगा. कहीं भी ऐसा मामला सामने आता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि कांवटिया अस्पताल में खुले में प्रसव प्रकरण संज्ञान में आते ही अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग के उच्च अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से मौके पर भेजा था. साथ ही अगले दिन ही विस्तृत जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी थी.
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