महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद राजस्थान की सियासत में कितना बढ़ेगा महिलाओं का कद? समझें पूरा गणित

अगर नारी शक्ति वंदन अधिनियम कानून बना तो राजस्थान की महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में कितनी सीटें रिजर्व होंगी? आइए आंकड़ों से समझते हैं...

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राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे.

Rajasthan News: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को नए संसद भवन में नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Women Reservation Bill) पेश कर दिया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने इसे पेश करते हुए कहा, 'महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें रिजर्व करने के लिए इस बिल को लाया जा रहा है. ऐसे में सवाल है कि इस बिल के पास होने के बाद राजस्थान की महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में कितनी सीटें रिजर्व हो जाएंगी?

राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. यहां से हर लोकसभा चुनाव में 25 सांसद चुने जाते हैं. ऐसे में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद इस संख्या बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी.


लोकसभा की 8 सीटें हो जाएगी महिलाओं के नाम

महिलाओं सशक्तिकरण के लिए लाया जा रहा ये बिल अगर कानून बनता है तो लोकसभा और विधानसभा में राजस्थान की महिलाओं की संख्या भी बढ़ जाएगी. आंकड़ों पर गौर करें तो लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, जिसमें से राजस्थान के पास 25 सीटें हैं. वर्तमान में इन 25 सीटों में अभी सिर्फ 3 महिला सांसद हैं, जो BJP से जुड़ी हुई हैं. लेकिन अगर ये विधेयक कानून बनता है तो लोकसभा में राजस्थान की महिलाओं के लिए 8 सीटें रिजर्व हो जाएंगी.

विधानसभा में भी होंगे ये बदलाव

वहीं राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) की बात करें तो वर्तमान में 200 सीटें हैं, जिनमें महिला विधायकों की संख्या सिर्फ 27 है. इसमें कांग्रेस की सबसे ज्यादा 15 महिला विधायक हैं. उसके बाद, बीजेपी की तरफ से 10, आरएलपी और अन्य की तरफ से एक- एक महिला विधायक हैं. लेकिन अगर नारी शक्ति अधिनियम कानून बन जाता है तो राजस्थान में 66 सीटें महिला विधायकों के लिए रिजर्व हो जाएंगी. 

2029 से पहले नहीं हो पाएगा लागू

महिला आरक्षण के लिए लाए जा रहे इस बिल की एक प्रति NDTV के पास भी है. इसके अनुसार, अगर ये बिल पास होकर कानून बनता है तब भी वर्ष 2029 के आम चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू किया जाना मुमकिन नहीं होगा. यह कानून तभी लागू होना मुमकिन है, जब निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और कानून लागू होने के बाद पहलीज नगणना भी हो चुकी हो. भारत में जनगणना वर्ष 2027 में ही होने की संभावना है.

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