संसद का विशेष सत्र का आग़ाज़ हो गया है. यह विशेष सत्र 22 सितंबर तक चलेगा. रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महिला आरक्षण को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. सूत्रों के मुताबिक़, इस कैबिनेट मीटिंग में राज्य विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक को मंज़ूरी मिल गई है. इस फैसले का कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने स्वागत किया है.
कांग्रेस नेता और पार्टी के मीडिया इंचार्ज जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने लिखा, "महिला आरक्षण लागू करने की कांग्रेस पार्टी की लंबे समय से मांग रही है. हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के कथित फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और गोपनीयता के पर्दे के तहत काम करने के बजाय सर्वसम्मति बनाई जा सकती थी."
कई बार संसद में पेश हुआ बिल, लेकिन पारित नहीं हो सका
आज से पहले भी महिलाओं को राज्य विधानसभा और लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान का बिल संसद में पेश हुआ है , लेकिन वो पारित नहीं सका. 1996 में पहली बार देवेगौड़ा सरकार ने इस बिल को पेश किया था. हालांकि, बिल सदन में पारित नहीं हो सका था. 2008 में मनमोहन सरकार ने इसे सदन में पेश किया ,लेकिन लोकसभा में पास नहीं करवा पाए. उसके बाद एक बार फिर 2010 में यूपीए-2 की सरकार में भी बिल सदन में पेश हुआ ,लेकिन लोकसभा में हंगामे की वजह से यह बिल पास नहीं सका था.
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