'1 किलो मटन के लिए 8763 लीटर पानी की आवश्यकता', PETA India ने की मांसाहार छोड़ने की अपील

World Water Monitoring Day: 18 सितंबर को विश्व जल निगरानी दिवस मनाया जाता है. मंगलवार को जयपुर में पेटा इंडिया के कार्यकर्ताओं ने जल बचाने के लिए यूनिक तरीके से कैंपेन किया.

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जल बचाने के लिए 18 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व जल निगरानी दिवस (World Water Monitoring Day) से पहले पेटा इंडिया (PETA India) के कार्यकर्ताओं ने पानी बचाने का संदेश दिया. मंगलवार को जयपुर के अलबर्ट हॉल म्यूजियम के बाहर कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक स्नान कर लोगों को पानी बचाने के लिए प्रेरित किया. इस दौरान उन्होंने लोगों से मांसाहारी भोजन त्याग कर वीगन शैली अपनाने की अपील की. बाथ टब पर लिखे संदेश, "1 किलो मांस = 75 लीटर स्नान" के जरिए उन्होंने पानी का महत्व बताया.

वीगन जीवनशैली अपनाकर पर्यावरण बचा सकेंगेः पेटा इंडिया

पेटा इंडिया के कैंपेनस कोर्डिनेटर उत्कर्ष गर्ग ने कहा, “बिना वीगन जीवनशैली अपनाए, पर्यावरण अनुकूल जीवन जी पाना असंभव है. पर्यावरण हितैषी लोग, केवल अपनी भोजनशैली में बदलाव करके बहुमूल्य जल संसाधनों को बचा सकते हैं और इस ग्रह, अपने स्वास्थ्य और अनगिनत पशुओं के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं.“ 

पेटा इंडिया के कार्यकर्ताओं ने बताया कि मांस, अंडा एवं डेयरी उद्योग द्वारा पशुओं को पालने हेतु फसल उगाने, सालाना अरबों जानवरों के लिए पीने का पानी उपलब्ध कराने और खेतों, ट्रकों और बूचड़खानों की सफाई के लिए काफी बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता हैं, जिससे वैश्विक जल आपूर्ति पर दबाव पड़ता है. 

सब्जी, दूध, अंडे, मांस के लिए कितना पानी लगता है? 

पेटा इंडिया के कार्यकर्ताओं ने वॉटर फुटप्रिंट नेटवर्क के हवाले से बताया कि एक किलो सब्जियां पैदा करने में 322 लीटर पानी खर्च होता है जबकि इसके विपरीत, 1 किलोग्राम दूध के लिए 1020 लीटर, 1 किलोग्राम अंडे के लिए 3265 लीटर, 1 किलोग्राम चिकन मांस के लिए 4325 लीटर, 1 किलोग्राम सूअर के मांस के लिए 5988 लीटर और 1 किलोग्राम मटन के लिए 8763 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि 1 किलोग्राम गोमांस के लिए 15,415 लीटर की आवश्यकता होती है.

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जयपुर में पेटा इंडिया के कैंपेन के दौरान की तस्वीर.

दावा- भारत में 224.3 मिलियन लोग अल्पपोषित

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, मांस, अंडा और डेयरी उत्पादन मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 18% या लगभग पांचवें हिस्से के लिए जिम्मेदार है. वर्तमान में, भारत में 224.3 मिलियन लोग अल्पपोषित हैं और देश के 91 मिलियन लोग साफ़ पानी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं.

जल और पर्यावरण बचाने के लिए वीगन बनें लोग

लेकिन इसके बावजूद मांस, अंडा और डेयरी उत्पादन हेतु दुनिया के साफ़ पानी के संसाधनों का एक तिहाई और दुनिया की उर्वर भूमि का एक तिहाई उपयोग होता है. इन सभी अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग पशुओं की जगह मनुष्यों हेतु खेती करने के लिए भी किया जा सकता है. ऐसे में जल और पर्यावरण बचाने के लिए पेटा इंडिया ने लोगों से मांसाहार छोड़ वीगन बनने की अपील की. 

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