Swapnil Kusale profile: कौन हैं स्वप्निल कुसाले, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में भारत को दिलाया तीसरा पदक, धोनी से मिलती है कहानी

Paris Olympic Games 2024: पेरिस ओलंपिक में भारत को तीसरा पदक मिल चुका है. गुरुवार एक अगस्त को ओलंपिक के छठे दिन भारत की तीसरा पदक भी निशानेबाजी में ही मिली. भारत के युवा शूटर स्वप्निल कुसाले ने कांस्य पदक जीता. जानिए पेरिस ओलंपिक में भारत को तीसरा पदक दिलाने वाले स्वप्निल कुसाले को.

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Swapnil Kusale profile: पेरिस ओलंप‍िक 2024 (Paris Olympic Games 2024) के छठे दिन भारत को शूटिंग में तीसरा पदक मिला. भारत के युवा शूटर स्वप्निल कुसाले ने कांस्य पदक पर कब्जा जमाया है. शूटिंग में स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में भारत को ब्रॉन्ज मेडल द‍िलाया. कुसाले ने आठ निशानेबाजों के फाइनल में 451.4 का कुल स्कोर बनाया. वो एक समय छठे स्थान पर थे, लेकिन बाद में एलिमिनेशन राउंड में तीसरे स्थान पर रहे. 29 वर्षीय कुसाले महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. उनका जीवन भारत क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से मिलती है. कुसाले भी धोनी की तरह भारतीय रेलवे में टीसी के पद पर काम करते हैं. कुसाले धोनी को अपना आदर्श भी मानते हैं. 

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से आते हैं स्वप्निल कुसाले

6 अगस्त 1995 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कम्बलवाड़ी गाँव में जन्मे स्वप्निल कुसाले किसान पृष्ठभूमि से आते हैं. स्वप्निल ने शूटिंग की ट्रेनिंग नासिक के स्पोर्ट्स एकेडमी से ली थी. वो फिलहाल पुणे में रेलवे में टीसी की नौकरी करते हैं.स्वप्निल के पिता सुरेश कुसाले पेशे से शिक्षक हैं. उनकी मां अनीता कंबलवाड़ी गांव की सरपंच हैं.

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2009 से शूटिंग की कर रहे थे प्रैक्टिस

निशानेबाजी में स्वप्निल का सफर 2009 में शुरू हुआ, जब उनके पिता ने स्वप्निल को महाराष्ट्र के प्राथमिक खेल कार्यक्रम क्रीड़ा प्रबोधिनी में दाखिला दिलवाया. एक साल की प्रैक्टिस के बाद कुसाले ने निशानेबाजी को खेल के रूप में चुना. फिर लगातार मेहनत और समर्पण के दम पर वो आगे बढ़ते गए. स्वप्निल ने कुवैत में 2015 एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल प्रोन 3 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. 

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2022 एशियाई खेलों में टीम स्पर्धा में भी स्वप्निल ने स्वर्ण पदक जीता था. कुसाले ने 2022 विश्व चैम्पियनशिप में टीम स्पर्धा में कांस्य पदक और नई दिल्ली में 2021 विश्व कप में टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक भी जीता. 

पिता ने बैंक से कर्ज लेकर स्वप्निल के लिए गोलियां खरीदी

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार स्वप्निल के पिता ने कर्ज लेकर बेटे को खेल में आगे बढ़ाया था. रिपोर्ट में बताया गया कि एक समय था जब अभ्यास के लिए गोलियां खरीदने के लिए स्वप्निल के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे. तब उनके शिक्षक पिता ने कर्ज़ लेकर अपने बेटे को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया.

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स्वप्निल ने खुद बताई थी अपने संघर्ष की कहानी

स्वप्निल ने पेरिस ओलंपिक से पहले मीडिया को भी यह कहानी बताई थी. स्वप्निल ने बताया "मेरे पिता ने बैंक से कर्ज लिया और उससे गोलियां खरीदी ताकि मेरी प्रैक्टिस बंद न हो. उस समय एक बुलेट की कीमत 120 रुपए थी. इसलिए मैंने शूटिंग की प्रैक्टिस करते समय हर गोली का सावधानी से इस्तेमाल किया. क्योंकि पैसे नहीं थे."

धोनी को मानते हैं प्रेरणा, कहानी भी उन्हीं की तरह

स्वप्निल कुसाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को आदर्श मानते हैं. स्वप्निल भी धोनी की तरह ही रेलवे में टीसी के पद पर काम कर रहे हैं. स्वप्निल ने धोनी की बायोपिक "एमएस धोनीः द अनटोल्ड स्टोरी" को कई बार देखा है. स्वप्निल के कोच ने बताया कि वो बेहत शांत स्वभाव के हैं. धैर्य के साथ अपने लक्ष्य की ओर से हमेशा प्रयास करते रहते हैं. 

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