राजस्थान के बांसवाड़ा में अब बकरी का भी बनेगा हेल्थ कार्ड, पशुपालकों को बिना ब्याज के मिलेगा लोन

जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी व राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक कैलाश बारोलिया ने बताया कि 100 से ज्यादा बकरी के पालकों से पूरी जानकारी जुटाने के बाद जिला कलक्टर के आदेश पर यह प्रोजेक्ट हाथ में लिया है. हेल्थ कार्ड में एक तरफ बकरी-बकरे के आहार सबंधी जानकारी अंकित होगी तो दूसरी तरफ सभी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह होगी.

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प्रतीकात्मक फोटो

Banswara News: राजस्थान का जनजाति जिला बांसवाड़ा में अब बकरी का भी हेल्थ कार्ड बनेगा. जिसके जरिये उनका इलाज हो सकेगा. बांसवाड़ा जिला कलेक्टर डॉ इंद्रजीत सिंह यादव ने एक नवाचार करते हुए अब आजीविका का बड़ा जरिया बकरी का भी हेल्थ कार्ड से इलाज करवाने की व्यवस्था की है. जिसके चलते किसानों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं आएगा. आदिवासी अंचल में इन दिनों इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है. जिला कलक्टर ने ‘राजीविका' को इस काम को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा है.

योजना से जुड़े परिवारों की आय बढ़ेगी 300 गुना

प्रारंभिक आंकलन के अनुसार इस योजना से जुड़े परिवार की 3 साल में आय 300 गुना तक बढ़ाने की योजना है. बकरी पालन और मुर्गा पालन से अन्य किसी भी कारोबार के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है. इसी को ध्यान में रखते हुए जिला कलक्टर डॉ इंद्रजीत सिंह यादव ने 'राजीविका मिशन' को बकरी पालन का विशेष प्रोजेक्ट लागू करने के निर्देश दिए हैं. इसकी प्रगति की हर सप्ताह जिला कलक्टर स्वयं मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

बकरियों का होगा समय पर इलाज 

बकरी खरीद और बकरी पालन शुरू करने वाले पशुपालक के लिए हरेक बकरी का हेल्थ कार्ड बनेगा. कार्ड में बकरी के टीकाकरण, उसको मौसम के अनुसान आहार, उसकी मात्रा और पूरी परवरिश का डेटा संधारित किया जाएगा. किसान को पता रहेगा कि बकरी को कब, किस चीज की जरूरत है. कार्ड बनने से पशु चिकित्सक बकरी की मेडिकल हिस्ट्री भी देख सकेगा. अभी 20 से 30 बकरी पालने वाले किसानों को जोड़कर प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा.

प्रदेश में पहली बार ऐसा प्रोजेक्ट

जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी व राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक कैलाश बारोलिया ने बताया कि 100 से ज्यादा बकरी के पालकों से पूरी जानकारी जुटाने के बाद जिला कलक्टर के आदेश पर यह प्रोजेक्ट हाथ में लिया है. हेल्थ कार्ड में एक तरफ बकरी-बकरे के आहार सबंधी जानकारी अंकित होगी तो दूसरी तरफ सभी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह होगी. इसकी मॉनीटरिंग पशुपालन विभाग, राजीविका मिशन और स्वयं सहायता समूह संचालक करेंगे. 

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जिला प्रशासन पूरे प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है. इसे बैंकिंग से भी जोड़ा जाएगा. बकरी पालन शुरू करने के इच्छुक पशुपालकों को सरकारी, निजी या सहकारी बैंक से लोन केवल 2 साल के लिए लेना होगा. इस बारे में केंद्रीय सहकारी बैंक के एमडी परेश पण्डया ने बताया कि हम किसान को बिना ब्याज का लोन देते हैं.

मृत्यु-दर में भी गिरावट आएगी

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विजय सिंह भाटी ने बताया कि पशु चिकित्सक को यदि बकरी-बकरे की मेडिकल हिस्ट्री पता हो तो बहुत बेहतर पालन हो पाता है. मृत्यु-दर में भी गिरावट आएगी. अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन होगा. ब्रीडिंग में भी 100 प्रतिशत फायदा होगा. अच्छी नस्ल की बकरी के छोटे बच्चे 1500 से 2 हजार रुपए तक मिल जाएंगे. वयस्क बकरा-बकरी लेना हो तो कीमत 15 से 20 हजार के बीच तक हो सकती है.

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