Holi ka Shubh Muhurat 2025: त्योहारों का समय आते ही एक बड़ी चर्चा इस बात की शुरू हो जाती है कि वह त्योहार किस दिन है. इस वर्ष होली पर भी यह सवाल चर्चा में है कि होली 14 मार्च को है या 15 मार्च को है. (When is Holi in 2025). हिंदू पंचांग के अनुसार, होली का त्योहार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. वहीं होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की (Holika Dahan 2025 Muhurat) रात भद्रा रहित मुहूर्त में किया जाता है.
पंचांग के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dahan Rituals And Puja) 13 मार्च 2025 को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 14 मार्च को सुबह 12:29 बजे तक रहेगा.
भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ माना जाता है
होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर रात 11:26 बजे तक रहेगा. शास्त्रों के मुताबिक भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसे खत्म होने के बाद ही दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है.
कैसे होता है होलिका दहन ?
होलिका दहन की विधि के अंतर्गत, एक पेड़ की टहनी या लकड़ी को भूमि में स्थापित किया जाता है और उसके चारों ओर उपले, लकड़ियां और कंडे रखे जाते हैं. शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर इसमें गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि इस अग्नि की राख को घर लाने और तिलक करने से बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है. कई क्षेत्रों में इस दिन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है.
होली कब है? (When Is Holi 2025)
- देश के अलग-अलग हिस्सों में होली 14 मार्च और 15 मार्च को मनाई जाएगी.
- बनारस और मथुरा में 14 मार्च को होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा.
- उदया तिथि के अनुसार, होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में और होली फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा में मनाने का विधान है.
- जहां पर्व उदया तिथि के आधार पर मनाया जाता है, वहां 15 मार्च को प्रतिपदा तिथि के अनुसार होली खेली जाएगी.
- मिथिला क्षेत्र में भी इस साल होली 15 मार्च को मनाई जाएगी.
- चूंकि 14 मार्च, शुक्रवार को दोपहर तक पूर्णिमा तिथि रहेगी, इसलिए रंग उस दिन नहीं खेले जाएंगे. इसी कारण इस साल कई जगहों पर होली 15 मार्च को मनाई जाएगी.
महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने की है परम्परा
देशभर में होली को विभिन्न रूपों में मनाने की परंपरा है. ब्रज क्षेत्र में यह त्योहार 15 दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि बरसाना में प्रसिद्ध लठमार होली खेली जाती है. मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में मुख्य होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जिसे और भी अधिक उल्लास के साथ मनाया जाता है.
महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने का चलन है, वहीं दक्षिण गुजरात के आदिवासी समाज के लिए यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. छत्तीसगढ़ में होली लोकगीतों से सराबोर होती है, जबकि मालवांचल में इसे भगोरिया उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
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