मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना : सरकार की फ्लैगशिप योजना

इस योजना का नाम मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना है. इस योजना की शुरुआत 2011 से हुई है और राजस्थान की इस फ्री दवा योजना का 40 प्रतिशत भारत राज्य सरकार वहन कर रही है और 60 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. इस योजना का लाभ कोई भी बीमार व्यक्ति ले सकता है.

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राजस्थान की मुफ्त दवा योजना.
जयपुर:

किसी भी सभ्य समाज में बीमारी का सुगम और सरल इलाज की व्यवस्था एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. इलाज में डॉक्टर की सलाह, दवाई और अस्पताल की व्यवस्था महत्वपूर्ण होती है. देश में कई राज्य सरकारें प्रदेश के लोगों को सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा दे रही है. साथ ही सरकारी चिकित्सालयों के जरिए लोगों को डॉक्टरों की सलाह दी जा रही है. साथ ही दवाइयां भी दी जा रही है. यह दवाई मुफ्त दी जा रही हैं. इस प्रकार की योजना राजस्थान में भी जारी है.

इस योजना का नाम मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना है. इस योजना की शुरुआत 2011 से हुई है और राजस्थान की इस फ्री दवा योजना का 40 प्रतिशत भारत राज्य सरकार वहन कर रही है और 60 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. इस योजना का लाभ कोई भी बीमार व्यक्ति ले सकता है.

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सरकारी वेबसाइट के हिसाब से योजना के माध्यम से राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले सभी इनडोर एवं आउटडोर रोगियों को आवश्यक दवा सूची में सम्मिलित दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं. इस योजना को सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2011 को आरंभ किया गया था. इस योजना के अंतर्गत सभी चिकित्सा संस्थानों में दवा वितरण करने के लिए जिला मुख्यालय पर 40 जिला औषधि भंडार गृह स्थापित किए गए हैं.

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मुख्यमंत्री दवा योजना के अन्तर्गत आवश्यक दवा सूची में वर्ष 2018-19 में दवाईयां 608, सर्जिकल्स 147, सूचर्स 77 कुल 832 आईटम थे, जो बढ़ाकर दवाईयां 1594, सर्जिकल्स 928, सूचर्स (मेडिकल उपकरण) 185 कुल 2707 आईटम सूचीबद्ध किये गये हैं.

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वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में  राजकीय चिकित्सालयों में आने वाले सभी अंतरंग एवं बहिरंग रोगियों को - आवश्यक दवा सूची में शामिल 1594 प्रकार की दवाइयों, 928 सर्जिकल एवं 185 सूचर्स सहित कुल 2707 दवाइयां, सर्जिकल व सूचर्स निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं. दवाइयों की अनुपलब्धता होने पर राजकीय चिकित्सालयों की मांग अनुसार स्थानीय स्तर पर क्रय कर उपलब्ध करवाई जाती हैं. 'योजना में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 3680 करोड़ रुपये व्यय किये गये हैं.  इनडोर एवं आपातकालीन मरीजों के लिए दवा की उपलब्धता 24 घंटे सुनिश्चित करवाई जा रही है.

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