पाकिस्तान से भारत आकर यह महिला बनीं सरपंच, CAA पर कहा- 'जो पीड़ा मैंने सही वह अब कोई आगे नहीं सहेगा'

नीता कंवर शिक्षा के लिए 2001 में पाकिस्तान से भारत आईं. इसके बाद उन्होंने यहां शादी कर ली. उन्हें भारत की नागरिकता मिलने में 8 साल का इंतजार करना पड़ा. फिलहाल वह टोंक के नटवाड़ा गांव की सरपंच बन समाज के लिए बेहतर काम कर रही हैं.

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सरपंच नीता कंवर (फाइल फोटो)
टोंक:

पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सांघड जिले के राड मऊ गांव में 26 नवंबर 1981 को स्वरूप सिंह जी सोढा के घर जन्मी नीता कंवर आज टोंक जिले के नटवाड़ा ग्राम पंचायत की सरपंच है. उन्हें भारतीय नागरिकता पाने के लिए 2001 में भारत आने के बाद 18 सालों का इंतजार करना पड़ा. आज देश में CAA लागू होने के बाद नीता कंवर खुश हैं, वह कहती है कि अब किसी और नीता कंवर को इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

भारतीय नागरिकता पाने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करती हुई नीता कहती हैं कि पीएम मोदी ने देश में बहुत कुछ बदलाव किया है. अब CAA जैसा कानून आने के बाद अब पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता के लिए लंबा और कठिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

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'जो पीड़ा मैंने सही वह अब कोई आगे नहीं सहेगा'

देश मे सोमवार की शाम जब CAA नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी हुआ, तब पाकिस्तान मूल की पहली भारतीय सरपंच नीता कंवर ने अपनी खुशियों को बयां किया. वह बोलीं जो पीड़ा मैंने सही वह अब कोई आगे नही सहेगा. पाकिस्तान में बेटियों के सुरक्षा और शिक्षा के हालातों पर उन्होंने कहा कि भारत बेटियों के लिए एक बेहतरीन देश है जहां शिक्षा और सुरक्षा के श्रेष्ठ अवसर है और देश में प्रधानमंत्री को मैं धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने यह कानून देश मे लागू किया है.

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पाकिस्तान से आकर टोंक में बनीं सरपंच

नीता कंवर जब शिक्षा के लिए 2001 में भारत आई तो उसकी उम्र 19 साल थी. जोधपुर से लेकर अजमेर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 2011 में टोंक जिले के नटवाड़ा में रहने वाले पुण्य प्रताप से नीता कंवर की शादी कर ली. बाद भी उन्हें भारत की नागरिकता मिलने में 8 साल इंतजार करना पड़ा. 2019 में भारत की नागरिकता मिलने के साथ ही 2020 में ग्राम पंचायत के चुनावों में वह सरपंच चुन ली गईं. आज वह महिला शिक्षा, स्वास्थ और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाते स्किल डवलपमेंट के क्षेत्र में कार्य कर महिलाओं के जीवन की तस्वीर बदल रही है. 

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नागरिकता पाने के लिए किया 19 सालो तक संघर्ष 

पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक बालिकाओं और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के मद्देनजर एक पिता ने अपनी बेटी को भारत में पढ़ाई करवाने का निर्णय लिया. 19 फरवरी 2011 को टोंक जिले के नटवाड़ा ठिकाने के ठाकुर सा लक्ष्मण करण के बड़े सुपुत्र पुण्य प्रताप करण से विवाह राजपूत रीत रिवाज से संपन्न हुआ. लेकिन नीता कवर की शादी में उसके माता-पिता वीजा नहीं मिलने के कारण भारत नहीं आ सकें और शादी में शामिल नही हो पाए थे.

अजमेर सोफिया में अपने स्नातक की पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट वीजा से भारत की नागरिकता हेतू आवेदन कर दिया था. लेकिन 2 बार एप्लीकेशन रिजेक्ट होने के पश्चात तीसरे प्रयास में अक्टूबर 2019 में बड़ी जद्दोजेहद के बाद आखिरकार भारतीय नागरिकता मिली. जो टोंक जिले में इकलौता उदाहरण है. ग्राम पंचायत नटवाडा के सरपंच चुनाव में वह 17 जनवरी 2020 को सरपंच पद पर निर्वाचित हुईं.

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