नागौर (Nagore) जिले में पिछले डेढ़ साल में एक लाख से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जिनमें से लगभग 20% गंभीर कुपोषण का शिकार हैं. यह आंकड़ा नवजात से लेकर पांच साल तक के बच्चों का है. दूध और दही के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद नागौर में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी चिंता का विषय है. स्तनपान की कमी, अशिक्षा और अज्ञानता इसके मुख्य कारण हैं. सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ की कमी के कारण कुपोषण की समस्या लगातार बनी हुई है. नागौर के सरकारी अस्पताल में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए एक वार्ड बनाया गया है, जहां बच्चों को मुफ्त इलाज, भोजन और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाती है.