
राजस्थान में बांसवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उन्हें 2012 बैच का आईपीएस अधिकारी के रूप में पश्चिम बंगाल कैडर मिला था. जिसके बाद साल 2013 में उनका पदस्थापन राजस्थान में हुआ. जहां उनकी कई स्थानों पर नियुक्ति हुई. इससे पहले अभिजीत सिंह ने नागौर में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया और साथ ही सीआईडी, एसओजी और जयपुर कमिश्नरेट में डीसीपी के रूप में सेवाएं दीं.
बांसवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह ने अपनी शिक्षा, दिनचर्या को लेकर बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में ही हुई और कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली से पूरी की. आईआईटी मद्रास से भी उन्होंने शिक्षा प्राप्त की. वहीं अभिजीत सिंह नियमित रूप से फिजिकल फिटनेस के लिए वर्कआउट और मेडिटेशन करते हैं, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक ऊर्जा मिलती है.
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एसपी अभिजीत सिंह से जब यह सवाल किया गया कि जिले में सरकारी विभागों में वर्क कल्चर आपको कैसा लगता है, तो उन्होंने जवाब दिया कि “पुलिस के पास कोई भी व्यक्ति तभी आता है जब वह किसी परेशानी में हो, इसलिए सरकार की मंशा के अनुरूप जितना जल्दी हो सके पीड़ित व्यक्ति की परेशानी दूर कर सकें इसके लिए कोशिश करते हैं और यह प्रयास भी है कि सभी अधीन अधिकारी भी इसी तरह अपना फर्ज अदा करें.”
एसपी अभिजीत से जब पूछा गया कि अगर कोई परेशानी आई तो फिर उसे कैसे दूर किया जाए, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि “पुलिस विभाग में रोजाना कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन टीम वर्क के रूप में एक कांस्टेबल से लेकर सभी अधिकारियों के मध्य सेतु के रूप में कार्य कर उसका समाधान भी कर लेते हैं. इसमें नवीनतम तकनीक का भी सहयोग लेते हैं जिससे समस्या का समाधान जल्दी हो जाए और पीड़ित व्यक्ति की पीड़ा दूर हो सके.”
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वहीं काम से छुट्टियां मिलने पर वह क्या करते हैं, इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि “पुलिस विभाग में काम करने के दौरान बहुत कम छुट्टियां बिताने का लाभ मिलता है लेकिन जब कभी इसका अवसर मिला तो परिवार के साथ ही अधिक समय बिताना चाहता हूं. घर परिवार और बुजुर्गों के साथ रहने से एक नई ऊर्जा का संचार होता है.”
अब तक के करियर में उनकी कुछ अच्छी यादें कौन-सी हैं, इसके जवाब में एसपी अभिजीत ने कहा कि “अब तक का करीब 11 साल का करियर बहुत बढ़िया रहा है. चाहे सीआईडी शाखा हो या फिर एसओजी में कार्य करना या फिर पुलिस अधीक्षक के रूप में फील्ड पोस्टिंग की हो, लगभग सभी जगह कार्य का अनुभव मिला है.”
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वहीं, जिले को लेकर आगे की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि “बांसवाड़ा जिला दो राज्यों की सीमा से लगता हुआ जनजाति बहुल क्षेत्र है. यहां कुछ पुरानी प्रथाओं जैसे मौताना की समस्या खड़ी हो जाती है तो आपसी सहयोग और सहमति से उसके समाधान का प्रयास किया जाता है. वहीं सीमावर्ती क्षेत्र होने से विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है.”