टोंक में पायलट को घेरने की तैयारी, चंद्रशेखर रावण ने उतारा उम्मीदवार, SDPI व AIMIM ने भी किया ऐलान

टोंक सीट अल्पसंख्यक, गुर्जर और एससी मतदाता बाहुल्य सीट है, जहां से सचिन पायलट ने पिछला चुनाव 54 हजार 861 वोटों से जीता था, जो इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
सचिन पायलट के लिए इस बार डगर आसान नहीं
TONK:

राजस्थान के विधानसभा चुनाव की तारीख़ का ऐलान हो चुका है. 25 नवंबर को एक चरण में प्रदेश में चुनाव होंगे. कांग्रेस नेता और टोंक से विधायक सचिन पायलट ने एक बार फिर टोंक से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पायलट लगातार चुनावी दौरे भी कर रहे हैं, लेकिन पायलट को घेरने के लिए कई पार्टियों ने टोंक सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. 

पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिसे इत्तिहादुल मुस्लिमीन (AIMIM ) ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था. अब चंद्रशेखर रावण की पार्टी आज़ाद समाज पार्टी ने भी टोंक सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. आज़ाद समाज पार्टी ने सचिन पायलट के सामने शोहेब खान को बनाया अपना उम्मीदवार बनाया है. 

पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने टोंक से 50 हज़ार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी. उनके सामने भाजपा ने यूनुस को मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार बुरी तरह पराजित हुए थे.

जनता ने दिए दिल खोलकर वोट

सचिन पायलट जब 2018 में टोक चुनाव लड़ने आए, उससे पहले इस सीट को कांग्रेस के खाते में अल्पसंख्यक सीट माना जाता था और 1972 से लेकर 2018 तक के 10 चुनावों में कांग्रेस ने लगातार इस सीट पर मुस्लिम लीडर को प्रत्याशी बनाया था. 2018 में इस सीट को सुरक्षित सीट मानकर सचिन पायलट चुनाव मैदान में उतरे और टोंक की जनता ने उन्हें दिल खोलकर वोट दिए. AIMIM भी मुस्लिम वोटों पर अपना भाग्य आज़माना चाहती है. 

ये भी पढ़ें- मोदी जी पूछते हैं 'लाल डायरी' में क्या है? खरगे बोले, 'मैं आपको बताता हूं यह है लाल डायरी में कि...

Advertisement

पायलट को लेकर जनता के मन में सवाल 

एक बार फिर से 2023 के चुनावों में सचिन पायलट टोंक की जनता से 2018 से बड़ी जीत के लिए वोट मांग रहे हैं. गांव-गांव ही नहीं, गली-गली जाकर लोगों से मिल रहे हैं, लोगों के साथ सेल्फी खिंचा रहे हैं, जनता के साथ जाजम पर बैठकर खाना खा रहे हैं, केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों का लोकार्पण व निरीक्षण कर रहे हैं.

जनता के मन में भी पायलट को लेकर कई सवाल हैं कि आखिर हमें मिला क्या? इस शहर में टूटी सड़कों और रूडीफ़ का सीवरेज में लूट का मायाजाल? या फिर 5 साल में पायलट टोंक में एक ऑफिस तक नहीं खोल पाए? 

फिर भी मज़बूत स्थिति में हैं पायलट 

माना जा रहा है कि टोंक में इस बार स्थिति पिछले चुनाव जैसी नहीं है, पायलट के कामकाज को लेकर सवाल तो हैं, लेकिन फिर भी टोंक में ऐसा कोई विपक्षी उम्मीदवार नज़र नहीं आता जो पायलट को हरा सकता है. कहा जा रहा है कि पायलट इस बार चुनाव तो जीत लेंगे, लेकिन उनकी जीत का अंतर उतना बड़ा नहीं होगा, जितना 2018 विधानसभा चुनाव में था. 

Advertisement

ये भी पढ़ें-सीएम गहलोत बोले, लोगों से मिले फीडबैक के आधार पर महसूस करता हूं कि..