मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Geholt) का एक मशहूर डायलॉग है "आप मांगते थक जाओगे, मैं देते नहीं थकूंगा" जिसे वह अलग-अलग जनसभाओं में बोलते रहते हैं. यह सच है या जुमला, इसकी सच्चाई बांसवाड़ा जिले के डकारकुंडी गांव के जनजाति क्षेत्र में देखी जा सकती है, जहां उच्च माध्यमिक राउमावि डकारकुंडी (Dakarkundi) विद्यालय के करीब 300 बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
दरअसल, पिछले दिनों राउमावि डकारकुंडी विद्यालय में कमरों की स्थित जर्जर हो जाने से गढ़ी उपखंड अधिकारी के आदेश पर विद्यालय के 8 कमरों को गिरा दिया गया था. शेष कमरों में कुछ कक्षाएं संचालित हो रही थी, लेकिन अब उनकी भी हालत जर्जर हो चुकी है, जहां बच्चों को बैठाकर पढ़ाना जोखिम का काम है. इसी कारण से अब बच्चे खुले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
मामले पर प्रधानाचार्य के मुताबिक विद्यालय भवन के निर्माण हेतु जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन इस पर किसी ने संज्ञान नही लिया. प्रधानाचार्य ने बताया कि प्रधानाचार्य व अन्य कमरों में स्टाफ के बैठने की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि भवन के पुनर्निर्माण हेतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा है, जिसके चलते बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है.