SOG की रडार पर बूंदी शिक्षा विभाग, फर्जी दस्तावेज से नौकरी लगे दो शिक्षक बर्खास्त; 3 साल बाद खुलासा 

राजस्थान के बूंदी जिले में SOG ने कार्रवाई करते हुए एक बड़े फर्जीबाड़े का खुलासा किया है. SOG ने 3 साल से शिक्षक के पद पर काम कर रहे 2 शिक्षकों के फर्जी दस्तावेज का खुलासा किया और दोनों को नौकरी से बर्खास्त करवाया.

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शिक्षा विभाग बूंदी.

Bundi SOG Action News: राजस्थान में पेपर लीक मामले की जांच कर रहे स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में बूंदी जिले में वर्ष 2022 की शिक्षक भर्ती में फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाले दो शिक्षकों का नाम सामने आया है. जिसके बाद बूंदी शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया हैं. एसओजी ने मामले की जानकारी शिक्षा विभाग के डायरेक्टर को दी उसके बाद दोनों शिक्षकों की सेवा समाप्त की गई है.

विभाग ने दोनों शिक्षकों की बूंदी में ही नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों को जांचा था और उन्हें जॉइनिंग दे दी गई थी. अब सवाल खड़ा होता है कि विभाग ने इतनी बड़ी लापरवाही अपने स्तर पर कैसे की और नियुक्ति करने के 3 साल बाद फर्जी दस्तावेजों का खुलासा हुआ. 

विभाग ने दोनों शिक्षकों को किया बर्खास्त

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने फर्जी दस्तावेज लगाकर सरकारी नौकरी कर रहे जिले के दो शारीरिक शिक्षकों नियुक्ति निरस्त कर दी है. जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार व्यास ने बताया कि जावंटी कला ग्राम पंचायत के जावंटी खुर्द स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत निर्मला गुर्जर और

इंद्रगढ़ क्षेत्र के गुढ़ा ग्राम पंचायत के हिम्मतपुरा के उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत भूपेंद्र वर्मा की डिग्री जांच में संदिग्ध पाए जाने पर मामला एसओजी के पास पहुंचा. जहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद माध्यामिक शिक्षा निदेशक के निर्देश ने दोनों शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त कर दी.

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प्रोबेशन काल पूरा करने से पहले हुई कार्रवाई

शिक्षा अधिकारी राजेंद्र व्यास ने बताया कि वर्ष 2022 में आयोजित शिक्षक भर्ती में दोनों का शिक्षक के रूप में चयन हुआ था. बूंदी से बड़ी संख्या में शिक्षकों की चयन होने पर विभाग में काउंसलिंग की गई थी. काउंसलिंग करने के बाद उनके दस्तावेजों को जांचा गया था. हमारा काम केवल दस्तावेजों को जांच करने के बाद निदेशालय बीकानेर भिजवाने का होता है.

नियुक्ति की सारी प्रक्रिया बीकानेर शिक्षा विभाग से की जाती है. शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि दोनों शिक्षकों का प्रोबेशन काल पूरा होने वाला था, इसके पहले ही विभाग ने यह कार्रवाई की है. जांच में डिग्री संदिग्ध पाए जाने पर मामला एसओजी के पास पहुंचा था और  SOG ने शिक्षा निदेशक से मामले की रिपोर्ट मांगी थी. 

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विभाग में मचा हड़कंप, इतनी चूक कैसे हुई

सूत्रों की माने तो प्रथम दृष्टया दोनों ही शिक्षकों ने फैजाबाद की एक यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों को अपनी नियुक्ति पत्र में लगाया था, जिसको संदिग्ध मानते हुए जांच की गई. जांच में दस्तावेज पूरी तरह से फर्जी पाए गए. वहीं सवाल यह खड़ा होता है कि बूंदी में वर्ष 2022 के दौरान सीधी भर्ती में ज्वाइनिंग लेने आए दोनों शिक्षकों के दस्तावेजों को बिना जांचे ही जॉइनिंग दे दी गई.

जिसके चलते शिक्षा विभाग के अधिकारी भी सवालिया निशान पर आ गए हैं. एसओजी यदि समय पर दोनों शिक्षकों के दस्तावेजों जांच नहीं करती तो शायद दोनों शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के साथ शिक्षक बनकर अपनी सेवाएं देते रहते.

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