
Farmer Protest in Delhi: 21 फरवरी को होने वाले किसानों के दिल्ली चलो (Delhi Chalo) मार्च से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंढेर (Sarwan Singh Pandher) ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक रही है. उन्होंने कहा, 'सरकार की मंशा बहुत स्पष्ट थी कि वे हमें किसी भी कीमत पर दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देंगे. यदि आप किसानों के साथ चर्चा के माध्यम से समाधान नहीं निकालना चाहते हैं तो हमें दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए.'
'हरियाणा में कश्मीर जैसे हालात'
पंढेर ने कहा, 'जब हम दिल्ली की ओर बढ़े, गोलाबारी हुई. ट्रैक्टरों के टायरों पर गोलियां भी चलाई गईं. हरियाणा के डीजीपी ने कहा है कि वे किसानों पर आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. हम इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए सजा की मांग करते हैं. गलत बयान भी दिए जा रहे हैं. हरियाणा में हालात कश्मीर जैसे हैं. हम 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. सरकार ने हमें एक प्रस्ताव दिया है ताकि हम अपनी मूल मांगों से पीछे हट जाएं. इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी अब जो भी हो.'
केंद्र का प्रस्ताव को किया खारिज
केंद्र द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल खरीदने का प्रस्ताव लाए जाने के बाद किसानों ने सोमवार शाम को यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया कि इसमें उनके लिए कुछ नहीं है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि दोनों मंचों की चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अगर आप विश्लेषण करेंगे तो सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नहीं है. हमारी सरकार 1.75 करोड़ रुपये का पाम ऑयल बाहर से आयात करती है, जिससे आम जनता को बीमारी भी होती है. अगर यह पैसा देश के किसानों को तिलहन की फसल उगाने के लिए दिया जाए और एमएसपी की घोषणा की जाए तो उस पैसे का उपयोग यहां किया जा सकता है. यह प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है. इसलिए हम इसे अस्वीकार करते हैं.'
हरियाणा के किसान भी होंगे शामिल
किसान नेता गुरनाम सिंह चारुनी ने सोमवार को कहा कि सरकार को एमएसपी के तहत तिलहन और बाजरा को शामिल करना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार 21 फरवरी तक इस पर सहमत नहीं हुई, तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा. पंजाब के आंदोलनकारी किसानों ने एमएसपी और ऋण माफी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने पर एक अध्यादेश सहित विभिन्न मांगें उठाई हैं. दोनों पक्षों - मंत्रियों और किसान नेताओं - ने पहले 8, 12 और 15 फरवरी को मुलाकात की थी लेकिन बातचीत बेनतीजा रही.
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