Manmohan Singh Funeral: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार आज, दिल्ली के निगमबोध घाट पर चल रहीं तैयारियां

Manmohan Singh Last Rites: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार से पहले निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही हैं. वहीं स्मारक के लिए जगह आवंटित करने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है, 'यह सही समय नहीं है.'

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दिल्ली के निगमबोध घाट पर होगा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार.

Manmohan Singh Antim Sanskar Time: भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का पूरे सैन्य सम्मान के साथ शनिवार सुबह 11:45 बजे नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. दिल्ली एम्स में गुरुवार रात उनका निधन हो गया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि डॉ. मनमोहन सिंह का पूरे राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ राजकीय अंतिम संस्कार की व्यवस्था करे.

स्मारक के स्थान अभी तय नहीं

शुक्रवार शाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनका एक स्मारक बन सके. इसके बाद रात में ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करेगी. इसके लिए ट्रस्ट का गठन किया जाना है और स्थान आवंटित किया जाना है. इस बीच मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा सकती हैं. 

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लंबे समय से बीमार चल रहे थे पूर्व पीएम

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (92) ने गुरुवार को दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. पिछले कुछ समय से वह अस्वस्थ चल रहे थे. इसी वर्ष उन्होंने संसदीय राजनीति को भी अलविदा कह दिया था. लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहे डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल बतौर सांसद 3 अप्रैल 2024 को समाप्त हो गया था. इसके बाद उन्होंने इस सफर को आगे न बढ़ाने का निर्णय लेते हुए संसदीय राजनीति को सदैव के लिए अलविदा कह दिया. दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के लिए बतौर सांसद यह आखिरी पारी थी.

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करीब 33 साल तक रहे राज्यसभा सांसद

पूर्व प्रधानमंत्री लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में शुमार थे. वह लगभग 33 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई वित्तीय और प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की. वर्ष 1991 में वह पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे. उसी साल वह 1991 से 1996 तक तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे और फिर 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे. उनके निधन से देश में परिवर्तनकारी नेतृत्व के एक युग का अंत हो गया है.

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