Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर के सदन से निलंबन का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि बीजेपी सरकार सदन को स्थगित कर इस मामले से पीछा छुड़ाना चाहती है. मगर विपक्ष इस मुद्दे पर अपनी लड़ाई जारी रखेगा और सड़कों पर आंदोलन करेगा. कांग्रेस ने इस मामले को राज्यपाल के समक्ष उठाने का फैसला किया है और राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा है.टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान में जिस तरह के संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है राज्यपाल से मिलकर कांग्रेस पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा.
टीकाराम जूली ने अपनी पार्टी के विधायक मुकेश भाकर के निलंबन के लिए बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह जान-बूझकर मनमानी कर रही है.
उन्होंने कहा," प्रदेश में भाजपा की सरकार लगातार संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाने में लगी हुई है. लाडनूं से कांग्रेस विधायक श्री मुकेश भाकर का छह माह के लिए विधानसभा से किया गया निलंबन पूर्णतःअसंवैधानिक एवं गैरजरूरी दिखाई देता है. बीजेपी सरकार को जनता से जुड़े मुद्दे पानी, बिजली ,क़ानून व्यवस्था तथा महिला सुरक्षा जैसे विषयों गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. मगर सरकार इसके विपरीत चुने हुए जन प्रतिनिधियों पर बदले की भावना से ना केवल कार्यवाही कर रही है ,बल्कि संवैधानिक सिद्धांतों का पूर्णतःअपमान कर रही है."
टीकाराम जूली ने कहा,"बीजेपी जब से आई है तब से काला अध्याय जोड़े जा रही है. कल से विपक्ष को सुना नहीं गया, तो फिर ये संविधान की दुहाई क्यों देते हैं. मैंने मामला उठाया कि नए कानून के अंदर ही अधिवक्ताओं की नियुक्ति हो सकती है, मगर मेरी बात को सुना नहीं गया. अध्यक्ष ने कहा कि आप लिखित में लेकर आएं, तब हम व्यवस्था देंगे. मैंने लिखित में दिया, मगर उसके बाद भी अध्यक्ष ने कोई व्यवस्था नहीं दी."
मुकेश भाकर
विपक्ष दबने वाला नहीं है - टीकाराम जूली
टीकाराम जूली ने कहा कि उनके सदस्य को निलंबित करने का पहले से ही फैसला कर लिया गया था. उन्होंने कहा,"पहले से ही सचेतक तैयारी करके आए थे कि हमको सदस्य को 6 महीने के लिए निकलना है. हम ने कल ही बता दिया था हम वार्ता के लिए तैयार हैं लेकिन कल से आज तक कोई चर्चा नहीं हुई. सत्ता पक्ष विपक्ष को इग्नोर कर रहा है. इस बार भी निलंबित करने से पहले वोटिंग नहीं कराई गई.
टीकाराम जूली की चेतावनी
इस बीच निलंबित किए गए विधायक मुकेश भाकर ने कहा है कि स्पीकर ने उन्हें सदन से निलंबित करने का फैसला दबाव में लिया है. उन्होंने कहा," निलंबित होने के बाद भी मैं अपनी स्टाइल नहीं बदलूंगा चाहे मुझे हमेशा के लिए निलंबित कर दें. अध्यक्ष ने सरकार के दबाव में असंवैधानिक निर्णय लिया है। मंत्री जवाब नहीं दे पा रहे हैं. कोई भी प्रस्ताव आता है तो पहले वोटिंग होती है."
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