नाहरगढ़ के जंगलों में बसे चरण मंदिर की कहानी, जहां भटक गए जयपुर के दो भाई, एक की मिली लाश

Nahargarh: जयपुर के दो भाई नाहरगढ़ के जिस चरण मंदिर घूमने गए थे वह एक बहुत पुराना मंदिर है. इस मंदिर को आमेर के राजा मानसिंह प्रथम (Raja Man Singh) ने बनवाया था.

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Charan Mandir: जयपुर में रविवार (1 सितंबर) को शहर के पास नाहरगढ़ के पहाड़ी और वन क्षेत्र में स्थित चरण मंदिर घूमने निकले दो भाई जंगल में रास्ता भटक गए. अगले दिन सुबह इनमें से बड़े भाई राहुल (21 वर्ष) की लाश जंगल में मिली. दूसरे भाई आशीष (19 साल) की तलाश की जा रही है. दोनों भाइयों ने रविवार दोपहर को अपने घर पर मां को फोन कर बताया था कि वह रास्ता भूल गए हैं. उनके वापस लौटने में देर होने पर परिवार के लोगों ने पुलिस में सूचना दी जिसके बाद दोनों भाइयों की तलाश शुरू हुई.

(चरण मंदिर घूमने के दौरान लापता हो गए जयपुर के दो भाई)

चरण मंदिर कहां है

दोनों भाई जिस चरण मंदिर में गए थे, वह जयपुर का एक पुराना मंदिर है. यह मंदिर आमेर रोड से नाहरगढ़ किला जाने के रास्ते में पड़ता है. यह मंदिर जयगढ़ और नाहरगढ़ के ठीक बीच में पड़ता है. चरण मंदिर नाहरगढ़ के वन क्षेत्र के बीच एक शांत स्थान पर स्थित है.

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चरण मंदिर किस भगवान का मंदिर है

चरण मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में इस स्थान का नाम अंबिका वन था. एक बार कृष्ण, नंद बाबा और ग्वाले इस वन में आए थे. तब वहां वन में एक बड़ा अजगर रहता था जिसने नंदबाबा का पैर पकड़ लिया.

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इसके बाद भगवान ने इस अजगर को अपने दाहिने पैर से स्पर्श किया जिसके बाद वह अजगर एक सुंदर पुरुष में बदल गया. उसने बताया कि वह इंद्र का पुत्र सुदर्शन है. एक बार उसने कुछ ऋषियों के रूप का उपहास किया था जिससे क्रोधित होकर उन्होंने उसे अजगर योनि में जाने का श्राप दे दिया था. 

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माना जाता है कि भगवान कृष्ण को पदचिह्न तब वहां अंकित हो गए थे. यह भी मान्यता है कि कृष्ण ने पांडवों के अज्ञातवास के दौरान इसी जगह पांडवों से भेंट की थी. 

जयपुर से नाहरगढ़ किले के रास्ते में है चरण मंदिर
Photo Credit: Pinterest@Manvendra Singh Rathore

राजा मान सिंह प्रथम ने निर्माण करवाया

बताया जाता है कि बाद में 16वीं शताब्दी में आमेर के शासक और भगवान कृष्ण के परम भक्त राजा मान सिंह प्रथम को भगवान ने सपने में जंगल में छिपी इस जगह के बारे में बताया. इसके बाद राजा ने यहां एक मंदिर बनवा दिया. इस मंदिर में भगवान कृष्ण के दाएं चरण की पूजा होती है. इसलिए इसे चरण मंदिर कहा जाता है.

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