
Udaipur: राजस्थान के उदयपुर जिले के सज्जनगढ़ अभयारण्य में मंगलवार (4 मार्च) से आग भड़की हुई है. पिछले दो दिन से आग को बुझाने के प्रयास हो रहे हैं. लेकिन तेज हवा के कारण आग बेकाबू होती जा रही है और अब बहुत बड़े इलाके में फैल चुकी है. आग अब आबादी वाले इलाके के नज़दीक पहुंच रही है. आग की लपटों से निकला काला धुआं दूर से ही दिखाई दे रहा है. इसे विकराल रूप लेता देख आस-पास के इलाके में दहशत फैल गई है. इसके बाद आस-पास के बहुत से घरों को खाली कराया जा रहा है. किसी बड़ी अनहोनी को टालने के लिए एहतियातन घरों के अंदर रखे गैस सिलेंडरों को दूर रखवाया जा रहा है. लोगों से उनके मवेशियों को भी हटाने के लिए कहा जा रहा है.
दमकल विभाग, वन विभाग और पुलिस की टीमें आग पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन आग के ऊंचाई वाले क्षेत्र में फैले होने और तेज़ हवा की वजह से इसे नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होती जा रही है.

14 दमकल गाड़ियों से भी नहीं हो रहा नियंत्रण
मौके पर उदयपुर के 5 फायर स्टेशन की 14 दमकल गाड़ियां तैनात हैं. उन्हें 2-2 गाड़ियों के जोड़े में अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है. वहां तैनात टीमों ने ऐसे इलाकों को चिह्नित किया है जहां सूखी झाड़ियों की वजह से आग फैल सकती है. दमकल की गाड़ियों से आग के आस-पास के क्षेत्र में झाड़ियों को पानी डाल कर गीला किया जा रहा है जिससे आग आगे ना बढ़ सके.
कैसे लगी आग
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह आग एक ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई. बताया जा रहा है कि गोरेला रोड के पास जंगली इलाके में एक ट्रांसफॉर्मर लगा है, जिस पर बंदर के कूदने से शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे वहां सूखी लकड़ियों में आग लग गई. तेज हवाओं और सूखी लकड़ी की वजह से आग फैलने लगी.
आग की लपटों के बाद सेंचुरी से ऊपर धुआं उठने लगा. इसके बाद वन विभाग के स्टाफ को आग की सूचना मिली. उन्होंने फायर ब्रिगेड से संपर्क किया, जिसके बाद दमकलों को गोरेला रोड भेजा गया. लेकिन ऊंचाई वाला इलाका होने के कारण दमकल का उपयोग नहीं हो सका.
हालांकि बुधवार (5 मार्च) शाम पहले दावा किया गया कि आग को नियंत्रित कर लिया गया है. लेकिन इसके बाद ही बहुत तेज़ हवा चलने लगी, जिससे आग ने विकराल रूप ले लिया, जिससे उसे रोकना और बड़ी चुनौती बन गया. गुरुवार को भी अभयारण्य के अंदर आग की तेज़ लपटें निकल रही हैं.
ये भी पढ़ें-: Surajgarh Nishan Yatra 2025: खाटूश्यामजी मंदिर पर कैसे शुरू हुई निशान चढ़ाने की परंपरा? झूंझुनू के सूरजगढ़ से है खास कनेक्शन