Success Story: इस एक आइडिया ने बदली किसान की किस्मत, 50 हजार से सीधा 15 लाख हो गई कमाई

आपत्ति ही आविष्कार की जननी है, इस कहावत को एक बार फिर सीकर के किसान भंवरलाल ने सच कर दिखाया है. आज उनके एक फैसले से सिर्फ उनकी ही नहीं, बल्कि उस इलाके में रहने वाले सभी किसानों की समस्या का समाधान हो गया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
किसान भंवरलाल.
NDTV Reporter

Rajasthan News: सीकर जिले की धोद विधानसभा के छोटे से गांव सरवड़ी के किसान भंवरलाल द्वारा कृषि के क्षेत्र में किए गए संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक साबित हो रही है. सीकर से करीब 35 किलोमीटर दूर किसान भंवरलाल के संघर्ष और सफलता की कहानी को जानने के लिए एनडीटीवी की टीम  सरवड़ी गांव पहुंची. एनडीटीवी संवाददाता जगदेव सिंह ने जब प्रगतिशील किसान भंवरलाल से उनके कडे संघर्ष और सफलता के बारे में जाना तो उन्होंने बताया कि 20 साल पहले सीकर उद्यान विभाग की मदद से एक हेक्टेयर में 125 आंवले के पौधे लगाकर खेती शुरू की. आंवले के पौधे लगाने के करीब 3 साल में ही आंवले की फसल खेत में लहराने लगी. लेकिन आंवले की उपज को बेचने के लिए उसे खरीददार नहीं मिला. इसलिए उसे सीकर, नागौर तथा कुचामन समेत आसपास की मंछियों में खरीददारों की तलाश में घूमना पड़ता था. 

खुद बनाए आंवले के कई प्रोडक्ट्स

कई बार तो आंवले की पूरी उपज कई कई दिनों तक बिक भी नहीं पाती थी और किसी भी मंडी में व्यापारियों ने 10 रुपए प्रति किलो से ज्यादा भाव नहीं लगाए. कई बार तो 5 रुपए प्रति किलो के भाव से भी बेचना पड़ता, जिससे काफी नुकसान भी होता था. लेकिन भंवरलाल ने हिम्मत नहीं हारी और किसान भंवरलाल ने सोचा क्यों न खुद ही आंवले से तैयार होने वाले प्रोडक्ट बनाना शुरू किए जाएं. भंवरलाल ने कृषि विशेषज्ञों से इस बारे में जानकारी जुटाई और खुद ही आंवले से कैंडी व मुर्बा जैसे प्रोडक्ट बनाने की योजना बना ली. अब भंवरलाल खुद के खेत में पैदा होने वाले आंवले के साथ ही आस पड़ोस के किसानों से भी आंवला खरीद कर कैंडी, मुरबा, आचार, आंवला पाउडर समेत कई तरह के प्रोडक्ट तैयार रहे हैं. भंवर लाल ने बताया कि वह आसपास के इलाकों के किसानों से आंवले की खरीद मंडी भाव से 5 रुपये अधिक देकर करता है. 

15 गुना बढ़ गई किसान की कमाई

भंवरलाल जिले में पहले ऐसे किसान हैं जिसने अपने बलबूते पर आंवला के कई प्रोडक्ट बनाना शुरू किए हैं. उनके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट सीकर, नागौर, बीकानेर, झुंझुनू, चूरू व कुचामन सहित बाहर भी बिक्री के लिए सप्लाई होते हैं. बड़े-बड़े मॉल में भी उनके बनाए हुए प्रोडक्ट की बिक्री होती है. किसान भंवर लाल का कहना है कि जो आंवला मंडी में 10 रुपए किलो नहीं बिक रहा था, उसी आंवले की कीमत अब उन्हें 150 रुपए प्रतिकिलो तक मिलने लगी है. जिस आंवले से सालाना मुश्किल से 50,000 भी नही कमा रहा था. उसी आंवले से अब वह सालाना करीब 13 लाख रुपये कमाने लगा है. भंवरलाल के इस काम में पत्नी सहित परिवार के अन्य लोग भी सहयोग करते हैं. इसके अलावा काम करने के लिए बाहर से भी मजदूर रखे हुए हैं. भंवरलाल आंवले के साथ अन्य फसल और पौधों की खेती भी करते हैं जो पूरी तरह से जैविक आधार होती है.

ये भी पढ़ें:- अशोक गहलोत के एक ट्वीट से गरमाई राजस्थान की सियासत, बोले- 'हर साल ऑटोमेटिक बढ़ेगी पेंशन'

LIVE TV