5 रुपए में नाश्ता, 8 रुपए में खाना... अन्नपूर्णा रसोई योजना की कैसे हुई शुरुआत

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Apurva Krishna

राजस्थान की श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना फिर चर्चा में है. भजनलाल शर्मा सरकार ने फैसला किया है कि इसके तहत अब एक व्यक्ति को एक ही थाली का कूपन दिया जाएगा. इसकी दो वजह है. पहला, एक ही व्यक्ति को दो कूपन देने में घपले का खतरा था, क्योंकि हर कूपन पर सरकार से 22 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. दूसरा, पहले की तुलना में अब थाली में ज्यादा खाना दिया जाता है, जो एक व्यक्ति की भूख दूर करने के लिए पर्याप्त है. 

इस योजना का उद्देश्य बड़ा नेक है. शहरों में ऐसे लोगों का पेट भरना जो ग़रीब हैं, और जिनके पास इतना पैसा नहीं है कि वो होटल और रेस्तरां में जाकर खाना खा सकें. खास तौर पर ऐसे लोगों की मदद की कोशिश की गई है जो कामगार तबका है, जो इतना मजबूर है कि उसके पास ना तो खाना बनाने के लिए समय और सुविधा है, ना ही इतना पैसा है कि वो बाहर से दूसरे लोगों की तरह खाना खरीद सके. 

ये वो लोग हैं जो भारत के आर्थिक विकास की कहानी के महत्वपूर्ण किरदार हैं. इनके बिना विकास की गाड़ी थम सकती है, व्यवस्था ठप्प हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर आप मेट्रो स्टेशन से उतरें और आपको अपने दफ्तर या घर जाने के लिए ना तो कोई ऑटोवाला दिखाई दे, ना कोई ई-रिक्शा नज़र आए, और ना ही आस-पास कोई रिक्शावाला खड़ा दिखे, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि अचानक शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी में कैसा ठहराव आ जाएगा. 

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वसुंधरा राजे ने शुरू की थी अन्नपूर्णा रसोई योजना

अन्नपूर्णा रसोई योजना ऐसे ही लोगों के लिए लाई गई थी. शुरुआत 15 दिसंबर  2016 को हुई. तब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं. योजना सीधी थी. मोबाइल वैन होंगे, जिनमें रसोई होगी. ये जगह-जगह खड़े होंगे और लोग वहाँ से खाना खरीदेंगे. नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना मिलेगा. नाश्ता 5 रुपये में मिलेगा, खाना 8 रुपये में. योजना की टैगलाइन थी - “सबके लिए भोजन, सबके लिए सम्मान.”

अन्नपूर्णा रसोई योजना 5 रुपये में नाश्ता, 8 रुपये में खाना

अशोक गहलोत ने नाम बदला - इंदिरा रसोई योजना

मगर राजस्थान में जब वर्ष 2018 में सत्ता बदली और अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार आई, तो उसने दो बड़े परिवर्तन किए. पहला, रसोई स्थायी हो गई, यानी वैन की जगह पक्के किचन में खाना बनने लगा, पूरे राज्य में पहले लगभग 400 वैन वाली रसोई चलती थीं, अब इतनी ही पक्की रसोई बन गईं. और दूसरा, योजना का नाम बदल गया. अन्नपूर्णा रसोई अब इंदिरा रसोई हो गई.  टैगलाइन हो गई - “कोई भूखा ना सोए.”

लेकिन एक चीज़ नहीं बदली - थाली की कीमत. नाश्ता 5 रुपए, खाना 8 रुपये.

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भजनलाल शर्मा ने भी नाम बदला - श्री अन्नपूर्णा योजना

पिछले साल राजस्थान में फिर सत्ता बदली. और एक बार फिर योजना में बदलाव होने लगे. इंदिरा रसोई अब श्री अन्नपूर्णा रसोई हो गई. मगर 8 साल बाद भी थाली की कीमत वही रही - नाश्ता 5 रुपए, खाना 8 रुपये.

यानी, राजस्थान में योजना का उद्देश्य वही है, थाली की कीमत वही है, मगर सरकारें बदलती हैं, तो नाम बदल जाते हैं.

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मगर जिस योजना से प्रेरणा लेकर राजस्थान में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत और अब भजनलाल शर्मा की सरकारों ने ग़रीबों का पेट भरने की इस योजना को शुरू किया और इसे जारी रखा, उस योजना का नाम नहीं बदला. जबकि सरकारें वहाँ भी बदलीं.

अम्मा कैंटीन योजना से मिली प्रेरणा

बीजेपी की अन्नपूर्णा रसोई योजना और कांग्रेस की इंदिरा रसोई योजना, ये दोनों योजनाएँ तमिलनाडु की “अम्मा कैंटीन योजना” से प्रेरित होकर चलाई गईं.

तमिलनाडु में वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री जे जयललिता ने शुरू की थी अम्मा कैंटीन

अम्मा कैंटीन की शुरुआत वर्ष 2013 के फ़रवरी में हुई थी, जब एआईएडीएमके ने तमिलनाडु में सरकार बनाई और पार्टी की नेता जे जयललिता मुख्यमंत्री बनीं. इनमें 1 रुपए में इडली, 3 रुपये में चपाती वाला खाना और 5 रुपये में चावल वाला खाना (पोंगल, सांबर, कर्ड राइस) मिलता है. यानी लोग पूरे दिन में 15 रुपये में पेट भर सकते हैं.

अम्मा कैंटीन

1 रुपये में नाश्ता, 5 रुपये में खाना

तमिलनाडु के शहरों में हैं 400 कैंटीन

हर दिन बनता है - 45 लाख इडली, 12 लाख प्लेट पोंगल, 25 लाख प्लेट सांबर-चावल, 11 लाख प्लेट कर्ड राइस

अम्मा कैंटीन इतनी लोकप्रिय हुई कि जब वर्ष 2021 में एआईएडीएमके की कट्टर विरोधी डीएमके की सरकार बनी, तो उन्होंने इसे ना सिर्फ़ जारी रखा, बल्कि ये भी घोषणा की कि वो इनकी संख्या दोगुनी कर देंगे. 

आज पूरे तमिलनाडु के शहरी इलाकों में लगभग 400 अम्मा कैंटीन हैं. इनमें हर दिन नाश्ते के लिए 45 लाख इडली और 12 लाख प्लेट पोंगल बनता है. लंच में 25 लाख प्लेट सांबर-चावल और 11 लाख प्लेट कर्ड-राइस बनता है. 

बड़ी बात ये है कि ना योजना का नाम बदला, और ना थाली की कीमत. अम्मा किचन आज भी अम्मा किचन है. तमिलनाडु की पार्टियों ने इसे अपनी पार्टी की नहीं, अपने राज्य की पहचान बना दिया है.

अपूर्व कृष्ण NDTV में न्यूज़ एडिटर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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