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This Article is From Aug 08, 2023

राजस्थान की इंदिरा रसोई योजना यानी गरीबों के भोजन की व्यवस्था

इस योजना का नाम इंदिरा रसोई योजना है. यह योजना 20 अगस्त 2020 को आरंभ की गई थी. राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना से कई गरीब लोगों को फायदा हो रहा है.

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राजस्थान की इंदिरा रसोई योजना यानी गरीबों के भोजन की व्यवस्था
राजस्थान इंदिरा रसोई योजना. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

गरीब कल्याण के लिए कार्य करना भारतीय संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों में दिया गया है. सभी सरकारें इस दिशा में काम करती रही हैं और धीरे-धीरे इस प्रयास में अपने-अपने राज्यों के गरीब लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए सस्ती दरों पर भोजन की भी व्यवस्था की जा रही है. ऐसी ही योजना राजस्थान की सरकार भी चला रही है. इस योजना का नाम इंदिरा रसोई योजना है. यह योजना 20 अगस्त 2020 को आरंभ की गई थी. राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना से कई गरीब लोगों को फायदा हो रहा है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार द्वारा “कोई भी भूखा नहीं सोए” के संकल्प के साथ 20 अगस्त 2020 से प्रदेश के सभी 213 नगरीय निकायों में 358 रसोईयों के माध्यम से इन्दिरा रसोई योजना का शुभारम्भ किया था.

बजट घोषणा वर्ष 2022-23 में रसोईयों की संख्या 358 से बढ़ाकर 1000 कर दी गई थी. दावा है कि इस योजना पर 250 करोड़ रुपये खर्च कर प्रतिवर्ष 9.25 करोड़ भोजन थाली परोसे जाने की व्यवस्था की गई है जिससे जरुरतमन्दों को लाभान्वित किया जा सके.

गौरतलब है कि बजट घोषणा 2023-24 में योजना की लोकप्रियता को देखते हुए इंदिरा रसोइयों का ग्रामीण कस्‍बों में भी विस्‍तार करते हुए इनकी संख्‍या बढ़ाकर 2000 करने की घोषणा की गई.

योजना की विशेषताएं कुछ इस प्रकार है

  • लाभार्थी को 8 रुपये में शुद्ध, ताजा एवं पोष्टिक भोजन दिया जा रहा है
  • सम्मानपूर्वक एक स्थान पर बैठाकर भोजन व्यवस्था की गई है.
  • राज्य सरकार द्वारा 17 रुपये प्रति थाली अनुदान के साथ दी जा रही है.  
  • योजना हेतु प्रतिवर्ष 250 करोड रुपये का प्रावधान किया गया है.
  • प्रतिदिन 2.30 लाख व्यक्ति एवं प्रतिवर्ष 9.25 करोड़ लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है. आवश्यकता के अनुरूप इसे और बढ़ाया जा सकता है.
  • स्थानीय संस्थाओं के सेवाभाव एवं सहयोग से रसोईयों का संचालन किया जा रहा है.
  • भोजन मेन्यू में मुख्य रूप से प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं आचार सम्मिलित है.
  • विकेन्द्रित स्वरूप - जिला स्तरीय समिति को आवश्यकतानुरूप स्थान, मैन्यू व भोजन समय के चयन की स्वतंत्रता दी गई है.
  • रियल-टाइम ऑनलाइन मोनेटरिंग एस.एम.एस गेटवे से लाभार्थी को सूचना एवं फिडबैक सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
  • प्रत्येक रसोई संचालन हेतु एकमुश्त 5 लाख रुपये आधारभूत एवं 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष आवर्ती व्यय का प्रावधान किया गया है.
  • राज्य/जिला स्तरीय समिति द्वारा निरीक्षण व गुणवत्ता जांच की भी व्यवस्था की गई है.
  • कोरोना महामारी के बचाव हेतु रसोईयों पर आवश्यक प्रावधान
  • सामान्यतः दोपहर का भोजन प्रातः 8:30 बजे से मध्यान्ह 3:00 बजे तक एवं रात्रिकालीन भोजन सांयकाल 5:00 बजे से 9:00 बजे तक उपलब्ध कराया जा रहा है.
  • आवश्यकतानुसार एक्शटेन्शन काउंटर द्वारा भोजन वितरण किया जाएगा.

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