Rajasthan News: राजस्थान में जोधपुर की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CBI केसेज) अदालत ने बाड़मेर के कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में सनसनीखेज फैसला सुनाया है. कोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पाली कालूराम रावत और बाड़मेर के आनंद शर्मा सहित कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या और अन्य धाराओं में संज्ञान लिया है. यह फैसला कमलेश की पत्नी जशोदा की प्रोटेस्ट याचिका पर आया, जिसमें एनकाउंटर को फर्जी बताया गया था.
22 अप्रैल 2021 का विवादित एनकाउंटर
22 अप्रैल 2021 को बाड़मेर के विष्णुनगर में पुलिस ने कमलेश प्रजापत का एनकाउंटर किया था. परिवार और समाज ने इसे फर्जी करार देते हुए पाली और बाड़मेर पुलिस पर सुनियोजित हत्या का आरोप लगाया.
तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी पर भी संलिप्तता के आरोप लगे. बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बाद मामला CBI को सौंपा गया. CBI ने जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट (एफआर) पेश की, जिसे जशोदा ने कोर्ट में चुनौती दी.
पुलिस अधिकारियों पर गंभीर धाराएं
कोर्ट ने कालूराम रावत और आनंद शर्मा के खिलाफ धारा 120बी (आपराधिक साजिश), रजत विश्नोई (तत्कालीन वृत्ताधिकारी सुमेरपुर) के खिलाफ धारा 120बी व 195, और पुष्पेंद्र आढ़ा (तत्कालीन DSP, बाड़मेर) सहित अन्य के खिलाफ धारा 302 (हत्या), 147, 148, 149 (दंगा), 120बी, 201 (सबूत मिटाने) के तहत संज्ञान लिया. यह कदम पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठाता है.
हरीश चौधरी पर जांच के आदेश
कोर्ट ने तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी, तत्कालीन IG जोधपुर एन. गोगोई और अतिरिक्त SP पाली के खिलाफ CBI को दो महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
न्याय की ओर बढ़ता कदम
कमलेश प्रजापत मामले में कोर्ट का यह फैसला फर्जी एनकाउंटर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश देता है. समाज और परिवार अब दोषियों को सजा मिलने की प्रतीक्षा में हैं.